गेंहू की फसल में पीलापन एक सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण समस्या बन सकती है। यह पीलापन अगर समय रहते ठीक नहीं किया जाए, तो यह फसल की बढ़वार और उपज पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। इस लेख में हम गेंहू में पीलापन आने के कारणों, इसके प्रभाव और इसे रोकने के उपायों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
अधिक सिंचाई: गेंहू के पौधों में पीलापन आने का मुख्य कारण अत्यधिक सिंचाई है। जब खेतों में अत्यधिक पानी दिया जाता है, तो मिट्टी में पानी के स्तर का संतुलन बिगड़ जाता है। विशेष रूप से कठोर या भारी मिट्टी में पानी जल्दी नीचे नहीं जाता, जिससे जड़ों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। यह स्थिति पौधों की बढ़वार में रुकावट डालती है और पत्तों में पीलापन दिखाई देने लगता है।
गेंहू में पीलापन का एक अन्य कारण ठंड और कोहरे भी हो सकते हैं। जब ठंड और कोहरा ज्यादा होता है, तो फसल के पत्ते पीले पड़ सकते हैं। यह स्थिति आमतौर पर शुरुआती ठंड के दौरान पाई जाती है। अगर पत्तों में हल्का पीला पाउडर भी दिखे, तो यह एक गंभीर संकेत हो सकता है, जिसे जल्द से जल्द ठीक करने की आवश्यकता है।
मिट्टी में सुधार: गेंहू की बुवाई से पहले यदि मिट्टी भारी हो तो उसमें जैविक पदार्थ का प्रयोग किया जा सकता है। इससे मिट्टी की संरचना बेहतर होगी और पानी का अवशोषण ठीक से होगा। इसके अलावा, हल्की मिट्टी में पानी का अवशोषण बेहतर होता है, इसलिए सिंचाई करते समय ध्यान देना जरूरी है कि पानी की मात्रा समुचित हो।
उचित सिंचाई तकनीक का प्रयोग: सिंचाई करते समय, विशेष रूप से भारी मिट्टी में, पानी को कम मात्रा में देना चाहिए। क्यारी विधि का उपयोग करते समय सतही सिंचाई से बचें और जरूरत के हिसाब से सिंचाई करें। हल्की मिट्टी में अधिक क्यारी बना सकते हैं, ताकि पानी का सही तरीके से प्रवाह हो सके।
यूरिया और जिंक का छिड़काव: अगर गेंहू में पीलापन आ गया है, तो सबसे पहले पानी के वाष्पित होने का इंतजार करें। इसके बाद पौधों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए 15 से 20 किलो यूरिया प्रति एकड़ छिड़क सकते हैं। यूरिया की छिड़काव से नाइट्रोजन की कमी दूर होती है और पौधे की वृद्धि में सुधार होता है। इसके अलावा, यूरिया के साथ जिंक सल्फेट का छिड़काव भी किया जा सकता है, जो पत्तियों का पीलापन कम करने में मदद करता है।
कोहरे और ठंड से उत्पन्न पीलापन का समाधान: कोहरे और ठंड के प्रभाव से उत्पन्न पीलापन को तेज धूप में सुधार किया जा सकता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्थिति में यूरिया के साथ जिंक सल्फेट का छिड़काव करना फायदेमंद होता है। इस प्रकार के उपचार से पौधों की वृद्धि बेहतर होती है और पत्तियों का पीलापन दूर होता है।
पीला रतुआ रोग: एक गंभीर समस्या: गेंहू की फसल में पीला रतुआ रोग का प्रभाव भी पीलापन बढ़ा सकता है। इस रोग में पत्तों पर पीला पाउडर दिखाई देता है, जिसे छूने पर यह उंगलियों और कपड़ों पर लग जाता है। इस रोग के उपचार के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए उपायों को अपनाना चाहिए। रोग के लक्षण दिखने पर विशेषज्ञों से संपर्क करें और अनुशंसित कवकनाशकों का छिड़काव करें।
सामान्य सुझाव:
निष्कर्ष: गेंहू की फसल में पीलापन एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन यदि समय रहते उचित उपाय किए जाएं, तो इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। फसल की सही देखभाल, सही सिंचाई और उर्वरक का प्रयोग इस समस्या को प्रभावी रूप से दूर कर सकता है। किसानों को इन उपायों का पालन करके गेंहू की उपज को बढ़ाना और गुणवत्ता में सुधार करना चाहिए।