मखाने की खेती बेहद लाभकारी होती है और इससे किसानों को अच्छी आमदनी होती है। अगर आप मखाने की खेती करने की योजना बना रहे हैं, तो सबसे ज्यादा उपज देने वाली किस्म का चुनाव करना जरूरी है। मखाने की स्वर्ण वैदेही किस्म न केवल अधिक उत्पादन देती है, बल्कि इसकी बाजार में मांग भी बहुत अधिक रहती है।
स्वर्ण वैदेही किस्म के मखाने में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। इस मखाने का उपयोग खाने, आयुर्वेदिक दवाओं और सौंदर्य उत्पादों में किया जाता है। इस किस्म की विशेषता यह है कि यह पारंपरिक मखाने की तुलना में अधिक उपज देती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ होता है।
अगर आप स्वर्ण वैदेही किस्म की मखाने की खेती करना चाहते हैं, तो आपको इसकी सही तकनीकों की जानकारी होनी चाहिए। इससे आपको बेहतर उत्पादन और अधिक मुनाफा मिल सकता है।
मखाने की खेती करने के दो प्रमुख तरीके होते हैं:
स्वर्ण वैदेही मखाने की खेती में पौधे से पौधे की दूरी 1.25 मीटर और पंक्ति से पंक्ति की दूरी भी 1.25 मीटर रखनी चाहिए। इस किस्म में 110 सेमी व्यास के गोलाकार पत्ते पानी पर तैरते हैं, जो इसकी पहचान है।
इसकी रोपाई के बाद फसल लगभग 120 दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाती है। सही देखभाल और पोषण देने पर इस फसल से शानदार पैदावार मिलती है।
मखाने की स्वर्ण वैदेही किस्म की बाजार में जबरदस्त मांग है क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। इस कारण से किसान इसकी खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं।
अगर आप एक हेक्टेयर में मखाने की स्वर्ण वैदेही किस्म की खेती करते हैं, तो इससे करीब 28-30 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है। इसकी अच्छी गुणवत्ता और अधिक उत्पादन की वजह से किसान लाखों रुपये की कमाई आराम से कर सकते हैं।
मखाने की स्वर्ण वैदेही किस्म किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है क्योंकि यह कम लागत में अधिक मुनाफा देती है। इसकी बाजार में ऊंची कीमत और उच्च मांग होने की वजह से इससे शानदार आमदनी हो सकती है। अगर आप भी कृषि क्षेत्र में नया निवेश करने की सोच रहे हैं, तो मखाने की यह उन्नत किस्म एक फायदेमंद विकल्प साबित हो सकती है।