भारत में धान की खेती प्रमुखता से कई राज्यों में की जाती है, जिसमें पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। जैसे ही गर्मी खत्म होती है और मानसून की बारिश शुरू होती है, किसान खरीफ सीजन में धान की बुवाई की तैयारी में लग जाते हैं। अच्छी पैदावार के लिए किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की आवश्यकता होती है।
इस लेख में हम आपको बासमती धान की 7 बेहतरीन किस्मों के बारे में जानकारी देंगे, जिनकी खेती करके किसान अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
यह एक अर्ध-बौनी किस्म है, जिसकी ऊंचाई 110 से 120 सेमी होती है। इसे 2003 में पूसा सुगंध 4 के रूप में जारी किया गया था और 2008 में पूसा बासमती 1121 के रूप में अधिसूचित किया गया। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के लिए यह उपयुक्त है।
खासियत:
यह किस्म पूसा बासमती 1509 को सुधार कर विकसित की गई है और 115-120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। यह हर्बिसाइड इमाजेथापियर 10% एसएल के प्रति सहनशील है।
खासियत:
इस किस्म को पूसा बासमती 1121 को अपग्रेड करके विकसित किया गया है। यह 130-133 दिनों में तैयार होती है और खरपतवारनाशी इमाजेथापायर 10% एसएल के प्रति प्रतिरोधी है।
खासियत:
4. पूसा बासमती 1592 Pusa Basmati 1592:
यह उन्नत और अधिक उत्पादक किस्म है, जो पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में उगाई जाती है।
खासियत:
5. पूसा बासमती 1609 Pusa Basmati 1609:
यह किस्म उत्तराखंड, पंजाब और दिल्ली के लिए अनुशंसित है।
खासियत:
6. पूसा बासमती 1692 Pusa Basmati 1692:
यह एक अर्ध-बौनी किस्म है, जो दिल्ली, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है।
खासियत:
7. पूसा बासमती 1886 Pusa Basmati 1886:
यह किस्म हरियाणा और उत्तराखंड में उगाई जाती है।
खासियत:
यदि किसान बासमती धान की खेती से बेहतर उपज और अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो उन्हें उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए।
बासमती धान की इन उन्नत किस्मों को अपनाकर किसान अपनी उपज बढ़ा सकते हैं और बाजार में अधिक मूल्य प्राप्त कर सकते हैं।