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Wheat farming: दिसंबर में पछेती बुवाई के लिए गेहूं की टॉप 3 किस्मों के बारे में जानें

Wheat farming: दिसंबर में पछेती बुवाई के लिए गेहूं की टॉप 3 किस्मों के बारे में जानें
गेहूं की पछेती किस्मों
08 Dec, 2024 12:00 AM IST Updated Sun, 08 Dec 2024 04:32 PM

अगर आपने अभी तक गेहूं की बोवनी नहीं की है, तो आपके लिए एक और मौका है। खासतौर पर उन किसानों के लिए जिनके पास समय की कमी या मौसम की अनुकूलता की वजह से गेहूं की अगेती बोवनी नहीं हो पाई। इस लेख में हम आपको गेहूं की पछेती किस्मों के बारे में बताएंगे, जिनसे आप बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

गेहूं की पछेती किस्मों का चयन Selection of late varieties of wheat:

गेहूं की पछेती बोवनी के लिए किसानों को शीघ्र पकने वाली और रोग प्रतिरोधक किस्मों का चयन करना चाहिए। ये किस्में लगभग 122 से 125 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं। ऐसे में, आपको इन किस्मों की बोवनी पर ध्यान देना चाहिए:

  1. डब्ल्यूएच 1021 और डब्ल्यूएच 1124: ये किस्में 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं और पिछली बोवनी के बाद भी अच्छी पैदावार देती हैं।
  2. HI 1634 और HI 1674: ये किस्में पछेती बोवनी के लिए भी उपयुक्त हैं और जल्दी पकने के साथ-साथ उच्च उत्पादन प्रदान करती हैं।
  3. CG 1029 और राज 3765: इन किस्मों का चयन भी किसान कर सकते हैं, जो विशेष रूप से जल्दी पकती हैं और मौसम के बदलावों से कम प्रभावित होती हैं।

बीज की मात्रा और बीज उपचार Seed quantity and seed treatment:

पछेती बोवनी में बीज की मात्रा को 25 प्रतिशत बढ़ाना चाहिए ताकि अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके। सामान्यत: 40 किलो प्रति एकड़ बीज पर्याप्त होता है, लेकिन पछेती बोवनी में यह मात्रा बढ़ाकर 50 किलो प्रति एकड़ कर दी जाती है।

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  • बीज उपचार: बीज को बोने से पहले रातभर पानी में भिगोना चाहिए। इसके बाद बीज को सूखा कर बोया जाता है। बीजों में दीमक के नियंत्रण के लिए 60 मिलीलीटर क्लोरोपायरीफोस 20 ईसी से उपचारित करना चाहिए।

बिजाई की विधि Method of sowing: गेहूं की बिजाई हमेशा कतारों में करनी चाहिए और इसके लिए सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल मशीन का उपयोग करना चाहिए। इस विधि से समय की बचत होती है और लागत भी कम होती है।

  • आवश्यक अंतर: प्रत्येक कतार के बीच 18 सेंटीमीटर का अंतर रखें ताकि फसल को बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिले और आप ज्यादा पैदावार पा सकें।

फर्टिलाइजर और मिट्टी की जांच: पछेती बोवनी के लिए खेत में फर्टिलाइजर डालने से पहले मिट्टी की जांच कराना बहुत जरूरी है। इससे आपको यह पता चलता है कि मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी है और आप सही खाद का चयन कर सकते हैं।

  • सिंचित क्षेत्र में खाद का चयन: शुद्ध नत्रजन, फास्फोरस और पोटास की उचित मात्रा डालनी चाहिए। इसके लिए, 60 किलो नत्रजन, 24 किलो फास्फोरस और 12 किलो पोटास प्रति एकड़ डालें।
  • वैकल्पिक खाद: 50 किलो डीएपी और 110 किलो यूरिया का प्रयोग भी किया जा सकता है। यदि सिंचाई की सुविधा हो, तो यह अधिक लाभकारी होता है।

रोग नियंत्रण और अतिरिक्त उपाय Disease control and additional measures:

गेहूं की पछेती बोवनी में कुछ रोगों का खतरा अधिक हो सकता है। इसके लिए, किसान बीज के उपचार के दौरान कार्बोक्सिन 2 ग्राम प्रति किलो बीज का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, प्यान्डीमैथालिन और पायरोक्सा सल्फोन का मिश्रण 150 से 200 लीटर पानी में मिलाकर खेत में स्प्रे करें। यह विधि मिट्टी में रोगों के फैलाव को रोकती है और फसल को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होती है।

सिंचाई और पानी का प्रबंधन: गेहूं की फसल को पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है। खासकर पछेती बोवनी में सही समय पर सिंचाई करना बहुत जरूरी है। पहले सिंचाई के बाद नत्रजन का शेष भाग डालने से फसल को अच्छे से बढ़ने में मदद मिलती है।

निष्कर्ष: पछेती बोवनी में गेहूं की अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए सही किस्मों का चयन, बीज उपचार, फर्टिलाइजर का सही इस्तेमाल और उचित बिजाई विधि का पालन करना बहुत जरूरी है। इन उपायों से किसानों को बेहतर फसल और अधिक लाभ मिल सकता है। यदि आप गेहूं की पछेती बोवनी के लिए तैयार हैं, तो इन आसान उपायों को अपनाकर भरपूर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

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