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Wheat prices Mumbai: मुंबई में गेहूं की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी, 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के पार

Wheat prices Mumbai: मुंबई में गेहूं की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी, 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के पार
गेहूं की कीमतें
25 Nov, 2024 12:00 AM IST Updated Mon, 25 Nov 2024 11:03 AM

महाराष्ट्र में गेहूं की कीमतें आसमान छू रही हैं। हाल ही में मुंबई की मंडियों में गेहूं के दाम 6000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गए, जिसने रिकॉर्ड बना दिया। राज्य में उत्पादन की कमी और मंडियों में गेहूं की कम आवक ने कीमतों को नया आयाम दिया है।

मुंबई में गेहूं की कीमतों का ऐतिहासिक उछाल Historic rise in wheat prices in Mumbai:

महाराष्ट्र में गेहूं का उत्पादन देश के कुल उत्पादन का केवल 2% है। इस वजह से यहां गेहूं की कीमतें सामान्यतः अधिक रहती हैं। लेकिन, हाल ही में मुंबई की मंडियों में गेहूं के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से तीन गुना अधिक हो गए। 22 नवंबर 2024 को मुंबई मंडी में गेहूं का अधिकतम थोक दाम 6000 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया, जो एमएसपी से 64% अधिक है।

गेहूं के दाम में उछाल के पीछे कारण Reason behind the rise in wheat prices:

विशेषज्ञों का मानना है कि ऑफ-सीजन होने के कारण किसान मंडियों में गेहूं नहीं ला रहे हैं। इस स्थिति का फायदा व्यापारी उठा रहे हैं। इसके साथ ही महाराष्ट्र में उत्पादन कम होने के चलते आयात पर निर्भरता बढ़ गई है। यही कारण है कि राज्य की मंडियों में गेहूं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।

महाराष्ट्र की मंडियों में गेहूं की कीमतें Wheat prices in Maharashtra mandis:

मंडी का नामआवक (क्विंटल)न्यूनतम दाम (₹/क्विंटल)अधिकतम दाम (₹/क्विंटल)
वर्धा34₹ 2,850₹ 2,915
खामगांव61₹ 2,675₹ 2,800
मलकापुर115₹ 2,675₹ 3,000
नागपुर101₹ 2,752₹ 3,050
छत्रपति संभाजीनगर5₹ 3,000₹ 3,200
मुंबई6706₹ 2,800₹ 6,000
अमलनेर15₹ 2,700₹ 3,500

मुंबई में गेहूं की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर क्यों?

  • मुंबई की मंडियों में रिकॉर्ड 6706 क्विंटल गेहूं की आवक के बावजूद, न्यूनतम दाम 2275 रुपये (एमएसपी) से अधिक और अधिकतम 6000 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, कम आवक और व्यापारियों की होड़ ने कीमतों को बढ़ावा दिया है।

निष्कर्ष: मुंबई में गेहूं के दाम का 6,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचना दर्शाता है कि देश के विभिन्न हिस्सों में कीमतों में बड़ा अंतर हो सकता है। सरकार को इस स्थिति पर नजर रखनी होगी ताकि आम जनता और किसानों दोनों को नुकसान न हो।