Mustard seeds: क्या आपके खेतों में सरसों के दाने फुट रहे हैं? जानिए इससे बचने का एकदम असरदार तरीका
12 Dec, 2024 12:00 AM IST Updated Thu, 12 Dec 2024 07:55 PM
सर्दियों में सरसों की खेती करने वाले किसानों के सामने नई चुनौतियां सामने आती हैं। इस बार अधिक तापमान की वजह से सरसों की फसल में कई समस्याएं देखी जा रही हैं। आइए जानते हैं कि किस प्रकार से अधिक तापमान और अन्य कारणों से सरसों की फसल प्रभावित हो रही है और इससे बचाव के उपाय क्या हैं।
अधिक तापमान से सरसों की खेती पर प्रभाव Effect of high temperature on mustard cultivation:
इस बार राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में सरसों की खेती पर तापमान का सीधा असर देखा गया है।
अंकुरण में कमी:
अक्टूबर और नवंबर में सामान्य से अधिक तापमान के कारण कई स्थानों पर सरसों की बुवाई प्रभावित हुई।
अधिक तापमान के कारण अंकुरित फसल मुरझाने लगी है।
फसलों में बीमारियों का प्रकोप:
अधिक तापमान के कारण सरसों की फसल में तना सड़न रोग, जड़ गलन, और बैक्टीरिया संक्रमण जैसी समस्याएं बढ़ी हैं।
राजस्थान में तापमान 2 से 7 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा, जिससे फसल की वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
सरसों की फसल को बचाने के उपाय:
सरसों की फसल में फुटाव और बीमारियों से बचाव के लिए कृषि विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए उपायों को अपनाया जा सकता है।
तापमान का प्रभाव कम करने के लिए उपाय Measures to reduce the effect of temperature:
पेंटोनाइड सल्फर का उपयोग:
प्रति बीघा 1.5 से 2 किलोग्राम पेंटोनाइड सल्फर खेत में छिड़काव के रूप में उपयोग करें।
यह पौधों को गलन से बचाने में मदद करता है।
मेटालैक्सिल का छिड़काव:
जड़ों में गलन की समस्या होने पर, 1 लीटर पानी में 0.5 ग्राम मेटालैक्सिल मिलाकर छिड़काव करें।
रोग प्रबंधन के लिए उपाय:
कार्बेंडाजिम का उपयोग:
प्रारंभिक अवस्था में 0.2% घोल बनाकर छिड़काव करें।
बैक्टीरिया संक्रमण होने पर, 15 लीटर पानी में 3 ग्राम स्टेप्टोसाइक्लीन और 30 ग्राम कार्बेंडाजिम मिलाएं।
तना सड़न रोग से बचाव:
रोगग्रस्त फसल अवशेष जलाकर खेत को साफ करें।
अधिक सिंचाई से बचें और बविस्टीन (कार्बेंडाजिम) का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
खेत की सफाई और देखभाल:
खेत को खरपतवार से मुक्त रखें।
फसल की आवश्यकतानुसार ही सिंचाई करें।
राजस्थान में सरसों की बुवाई के आँकड़े:
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में 21 नवंबर तक सरसों की बुवाई 30 लाख हेक्टेयर भूमि पर हुई, जो पिछले साल की तुलना में 7.2% कम है।
बुवाई क्षेत्रफल में कमी का मुख्य कारण अक्टूबर और नवंबर का उच्च तापमान था।
निष्कर्ष: सरसों की खेती में अधिक तापमान और फसल रोगों से बचाव के लिए सही समय पर उचित कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है। किसानों को दिए गए उपायों को अपनाकर अपनी फसल को संभावित नुकसान से बचाना चाहिए। सरसों की बेहतर उपज के लिए समय पर छिड़काव, खेत की सफाई और फसल की नियमित देखभाल जरूरी है।