Onion diseases: प्याज की फसल में पर्पल ब्लॉच रोग: लक्षण पहचानें और नियंत्रण के आसान उपाय जानें

Onion diseases: प्याज की फसल में पर्पल ब्लॉच रोग: लक्षण पहचानें और नियंत्रण के आसान उपाय जानें

प्याज

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कृषि दुनिया
  • 09 Feb, 2025 03:30 PM IST ,
  • Updated Sun, 09 Feb 2025 06:40 PM

प्याज की खेती और रोगों का प्रभाव

प्याज किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण नगदी फसल है, जिसकी खेती रबी और खरीफ दोनों मौसमों में की जाती है। हालांकि, मौसम की अनुकूलता के कारण प्याज की फसल में कई तरह के रोग लग सकते हैं, जिनमें पर्पल ब्लॉच रोग प्रमुख रूप से नुकसान पहुंचाने वाला रोग है। यह रोग फसल की उपज और गुणवत्ता को प्रभावित करता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

पर्पल ब्लॉच रोग क्या है?

पर्पल ब्लॉच रोग प्याज की पत्तियों और तनों पर असर डालता है, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और फसल उत्पादन कम हो जाता है। इस रोग का प्रभावी प्रबंधन आवश्यक है ताकि प्याज की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सके।

पर्पल ब्लॉच रोग के लक्षण:

  • पत्तियों पर धब्बे – शुरुआत में छोटे, पानी भरे हल्के पीले धब्बे दिखाई देते हैं, जो धीरे-धीरे बढ़कर भूरे या बैंगनी रंग के हो जाते हैं। इन धब्बों के चारों ओर पीले रंग की परत बन जाती है।
  • पत्तियों का झुलसना – जब संक्रमण गंभीर हो जाता है, तो पत्तियां सूखकर झुलसने लगती हैं। यह रोग तनों को भी प्रभावित कर सकता है।
  • बल्ब का विकास रुकना – संक्रमित पौधों की पत्तियां समय से पहले सूख जाती हैं, जिससे बल्ब का विकास रुक जाता है और उत्पादन में भारी गिरावट आती है।

रोग का प्रसार कैसे होता है?

यह रोग मुख्य रूप से हवा, संक्रमित पौधों के अवशेष और नमी के कारण फैलता है। उच्च आर्द्रता (80-90%), 18-25 डिग्री सेल्सियस तापमान, बारिश या भारी सिंचाई इस रोग के प्रसार को तेज कर देते हैं।

पर्पल ब्लॉच रोग का प्रबंधन:

1. फसल चक्र अपनाएं:

प्याज को अन्य फसलों के साथ चक्रीय रूप से उगाने से इस रोग का प्रभाव कम किया जा सकता है।

2. खेत की साफ-सफाई करें:

संक्रमित पौधों के अवशेषों को खेत से हटा दें, क्योंकि ये रोग फैलाने का मुख्य कारण होते हैं।

3. जल निकासी का प्रबंधन करें:

खेत में पानी का जमाव न होने दें, क्योंकि अत्यधिक नमी रोग को बढ़ावा देती है।

4. संतुलित उर्वरक का उपयोग करें;

नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलित मात्रा में उपयोग करें। नाइट्रोजन की अधिकता से रोग का प्रकोप बढ़ सकता है।

5. प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें:

ऐसी प्याज की किस्में चुनें जो रोग प्रतिरोधी हों, ताकि फसल को कम नुकसान हो।

पर्पल ब्लॉच रोग का जैविक प्रबंधन:

  • ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक एजेंट का उपयोग करें, जो रोगजनक को नियंत्रित करने में सहायक है।
  • 5% नीम का तेल (निमोल) छिड़काव करें, जिससे रोग का प्रभाव कम होगा।
  • काउ डंग स्लरी जैसे जैविक खाद का उपयोग करने से पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

पर्पल ब्लॉच रोग का रासायनिक नियंत्रण:

यदि रोग का प्रकोप अधिक हो, तो निम्नलिखित फफूंदनाशकों का उपयोग करें:

  • मैनकोजेब – 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  • प्रोपिकोनाजोल – 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
  • क्लोरोथैलोनिल – 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  • इन रसायनों का छिड़काव 10-15 दिन के अंतराल पर दो बार करें।

सिंचाई प्रबंधन से फसल की सुरक्षा:

प्याज की फसल में सुबह के समय ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें, जिससे अतिरिक्त नमी से बचाव होगा और रोग पनपने की संभावना कम होगी।

प्याज की फसल में पर्पल ब्लॉच रोग एक गंभीर समस्या है, लेकिन सही कृषि प्रबंधन, जैविक उपाय और उचित रासायनिक नियंत्रण से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। किसान समय रहते इन उपायों को अपनाकर अपनी प्याज की फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।

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