Gram disease: चने की फसल में फली छेदक कीट, वॉली बोरर और चने की इल्ली का प्रभावी प्रबंधन
17 Dec, 2024 12:00 AM IST Updated Tue, 17 Dec 2024 06:40 PM
चना (Gram Crop) रबी सीजन की एक प्रमुख फसल है, जिसे देशभर में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। महाराष्ट्र समेत भारत के विभिन्न राज्यों में किसान अपनी आजीविका के लिए चने की खेती पर निर्भर हैं। हालांकि, सर्दियों के दौरान फली छेदक कीट, वॉली बोरर और चना इल्ली का प्रकोप किसानों के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है।
यदि सही समय पर इन कीटों का प्रबंधन न किया जाए, तो ये फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं और उत्पादन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों द्वारा इन समस्याओं से निपटने के लिए कई प्रभावी उपाय सुझाए गए हैं, जो किसानों की मदद कर सकते हैं। आइए इन कीटों के प्रबंधन के तरीकों को विस्तार से समझते हैं।
1. फली छेदक कीट (Pod Borer) का प्रबंधन:
फली छेदक कीट की पहचान
यह कीट शुरू में पत्तियों को खाता है और जैसे ही फली बनती है, इरागे के छेद कर अंदर के दानों को खोखला कर देता है।
इस कीट की लटें शुरुआत में हरे रंग की होती हैं और समय के साथ गहरे भूरे रंग में बदल जाती हैं।
प्रबंधन के उपाय:
अंडे और सुण्डियों को नष्ट करें: फली छेदक कीट के प्रकोप को रोकने के लिए खेत में मौजूद अंडे और लार्वा को इकट्ठा कर नष्ट करें।
फेरोमोन ट्रैप का उपयोग: प्रति हेक्टेयर 4-5 फेरोमोन ट्रैप लगाएं, जिससे कीटों को आकर्षित किया जा सके और उनकी संख्या नियंत्रित की जा सके।
तम्बाकू की पत्तियों का घोल: 3% तम्बाकू के पत्तों का घोल तैयार कर फूल आने और फली बनने के समय छिड़काव करें।
एजाडिरेक्टिन का छिड़काव: 1500 पीपीएम (0.15% ईसी) एजाडिरेक्टिन का 5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
जैविक उपाय:
50% फूल आने पर एन.पी.वी. (Nuclear Polyhedrosis Virus) का छिड़काव करें।
15 दिन बाद बेसिलस थुरिंजिनेसिस का उपयोग करें।
कीटनाशक का उपयोग: जब प्रकोप गंभीर हो, तो विभागीय सिफारिशों के अनुसार रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करें। छिड़काव सुबह या शाम के समय करें।
2. वॉली बोरर और चने की इल्ली का प्रबंधन:
हानि का स्वरूप:
वॉली बोरर और चने की इल्ली छोटे लार्वा के रूप में पत्तियों, फूलों और नई शाखाओं को खाकर नुकसान पहुंचाते हैं।
यह समस्या खासतौर पर तब बढ़ती है, जब खेत में जलजमाव हो या मौसम में लगातार बादल छाए रहें।
प्रबंधन के उपाय:
5% निबोला का छिड़काव: जैविक उपाय के तहत निबोला का छिड़काव करें। यह कीटों को नियंत्रित करने में कारगर है।
एमामेक्टिन बेंज़ोएट का उपयोग: प्रति लीटर पानी में 0.5 ग्राम एमामेक्टिन बेंज़ोएट मिलाकर छिड़काव करें।
कामगंध ट्रैप का उपयोग: प्रति हेक्टेयर 5-12 कामगंध ट्रैप लगाएं। ये ट्रैप कीटों को आकर्षित कर उनकी संख्या कम करने में मदद करते हैं।
पक्षियों का उपयोग: खेत में बर्ड शेल्टर बनाएं, ताकि पक्षी प्राकृतिक रूप से कीटों का नियंत्रण कर सकें।
3. एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM): फसल की सुरक्षा का प्रभावी तरीका:
खेत की निगरानी: नियमित रूप से फसल की निगरानी करें ताकि कीटों और उनके अंडों की पहचान शुरुआती चरण में हो सके।
जैविक फफूंदनाशकों का उपयोग: ट्राइकोडर्मा और वर्टिसिलियम लेकानी जैसे जैविक फफूंदनाशक फसल के लिए लाभकारी होते हैं।
जल निकासी का ध्यान रखें: खेत में जलजमाव न होने दें, क्योंकि इससे कीटों का प्रकोप बढ़ सकता है।
खरपतवार प्रबंधन: खेत से नियमित रूप से खरपतवार हटाएं।
जैविक उपाय: नीम तेल का छिड़काव और जैविक खाद का उपयोग करें। यह न केवल कीटों को नियंत्रित करता है, बल्कि फसल को पोषण भी देता है।
निष्कर्ष: बंपर उत्पादन के लिए सतर्कता जरूरी:
चने की फसल को कीटों से बचाने के लिए समय पर प्रबंधन बेहद जरूरी है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जैविक और प्राकृतिक विधियों को प्राथमिकता देते हुए कीट नियंत्रण करें।
सुझाव:
कीटनाशकों का उपयोग सोच-समझकर करें और पर्यावरण-अनुकूल उपायों को अपनाएं।
नियमित निगरानी, संतुलित पोषण और उचित प्रबंधन से फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है।
किसानों के लिए यह उपाय न केवल फसल को कीटों से बचाएंगे, बल्कि उत्पादन में भी बढ़ोतरी करेंगे। डॉ. तांबडे के अनुसार, “समय पर सही उपाय अपनाने से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार होगा, जिससे किसानों को उनकी मेहनत का उचित लाभ मिलेगा।”