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मटर की तुड़ाई का समय अगर गलत हुआ तो हो सकता है बड़ा नुकसान, जानें सही तरीका

मटर की तुड़ाई का समय अगर गलत हुआ तो हो सकता है बड़ा नुकसान, जानें सही तरीका
मटर की तुड़ाई
21 Dec, 2024 12:00 AM IST Updated Sat, 21 Dec 2024 05:08 PM

मटर की खेती में सही समय पर तुड़ाई करना और उसकी देखभाल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे न केवल फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है, बल्कि किसानों को अधिक उत्पादन और मुनाफा भी मिलता है। आइए विस्तार से समझते हैं कि मटर की तुड़ाई का सही समय कैसे पहचाना जाए और उसकी देखभाल में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

मटर की तुड़ाई का सही समय Right time to harvest peas:

मटर की तुड़ाई का समय फसल की गुणवत्ता और पैदावार पर गहरा असर डालता है। सही समय पर तुड़ाई के लिए इन बिंदुओं का ध्यान रखें:

  1. बुवाई का समय:
    मटर की बुवाई का सही समय अक्टूबर से नवंबर तक होता है। अगेती किस्मों की बुवाई सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक की जाती है।
  2. तुड़ाई का प्रारंभिक समय:
    मटर की बुवाई के लगभग 60-65 दिन बाद फलियां तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं।
  3. फलियों की पहचान:
    जब मटर की फलियां चमकदार और मुलायम दिखाई दें, तो यह तुड़ाई का सही समय होता है। फलियों में नमी और ताजगी का होना उनकी उपयुक्तता दर्शाता है।
  4. बार-बार तुड़ाई का अंतराल:
    पहली तुड़ाई के बाद दूसरी तुड़ाई के बीच 6 से 10 दिनों का अंतर रखें। इससे फसल को पुनः वृद्धि का समय मिलता है और उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार होता है।
  5. किस्म के आधार पर तुड़ाई की बारंबारता:
    मटर की किस्म के आधार पर तुड़ाई चार से पांच बार तक की जा सकती है।
  6. फसल की परिपक्वता का समय:
    मटर की फसल को पूर्ण रूप से तैयार होने में लगभग 130 से 150 दिन का समय लगता है। इसके बाद यह तुड़ाई के लिए पूरी तरह उपयुक्त हो जाती है।

मटर की फसल की देखभाल के सुझाव Pea crop care tips:

मटर की खेती में सही देखभाल से फसल के उत्पादन में वृद्धि होती है और रोगों से बचाव होता है। मटर की देखभाल के लिए इन बातों का ध्यान रखें।

  1. खरपतवार नियंत्रण:
    मटर की फसल में खरपतवार का नियंत्रण आवश्यक है। खरपतवार न केवल पोषक तत्वों को खींचते हैं, बल्कि फसल की वृद्धि को भी बाधित करते हैं। समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें।
  2. रोग और कीट प्रबंधन:
    मटर की फसल को कीट और रोगों से बचाने के लिए उचित कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का उपयोग करें। जैविक कीटनाशक का प्रयोग भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
  3. सिंचाई का ध्यान रखें:
    मटर की फसल को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। फसल को अधिक पानी से बचाएं, क्योंकि इससे जड़ सड़ने का खतरा होता है। सिंचाई का समय मौसम और फसल की अवस्था के अनुसार तय करें।
  4. पोषक तत्वों का संतुलन:
    फसल में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश जैसे पोषक तत्वों का सही मात्रा में उपयोग करें। जैविक खाद और वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग फसल की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक होता है।

मटर की फसल में उच्च गुणवत्ता के लिए सुझाव Tips for high quality in pea crop:

  • उन्नत किस्मों का चयन करें:
    मटर की अगेती और देर से पकने वाली किस्में बाजार की मांग के अनुसार उगाएं।
  • जलवायु का ध्यान रखें:
    मटर ठंडी जलवायु में बेहतर उत्पादन देती है। बुवाई और तुड़ाई के समय मौसम की स्थिति का ध्यान रखना जरूरी है।
  • प्राकृतिक उपाय अपनाएं:
    जैविक खेती के तरीकों से मटर की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है।

निष्कर्ष: मटर की तुड़ाई और देखभाल का सही समय और तरीका अपनाकर आप फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं। नियमित निरीक्षण, सही सिंचाई, और पोषण का ध्यान रखना किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। इन सरल लेकिन प्रभावी सुझावों को अपनाकर आप अपनी मटर की फसल से अधिक लाभ कमा सकते हैं।