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Pea diseases: मटर की फसल को बचाने के लिए इन दो खतरनाक बीमारियों के बारे में जानें

Pea diseases: मटर की फसल को बचाने के लिए इन दो खतरनाक बीमारियों के बारे में जानें
मटर के प्रमुख रोग
17 Nov, 2024 12:00 AM IST Updated Sat, 23 Nov 2024 11:02 AM

मटर देश की प्रमुख शीतकालीन सब्जियों में से एक है। यह न केवल कम समय में अच्छा मुनाफा देती है, बल्कि खेत की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ाती है। मटर का उपयोग सब्जी और दलहन दोनों के रूप में किया जाता है, जिससे यह किसानों के लिए बहुत लाभकारी साबित होती है। लेकिन, फसल को प्रभावित करने वाले कुछ गंभीर रोगों के कारण मटर की खेती करने वाले किसानों को सतर्क रहना जरूरी है।
जड़ सड़न और विल्ट कॉम्प्लेक्स जैसे रोग फसल को बर्बाद कर सकते हैं। इस लेख में हम इन रोगों के लक्षण, कारक और नियंत्रण के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

मटर के प्रमुख रोग और उनके लक्षण Major diseases of pea and their symptoms:

1. फ्यूजेरियम विल्ट (Fusarium Wilt): फ्यूजेरियम विल्ट रोग मटर उगाने वाले क्षेत्रों में एक गंभीर समस्या है। यह रोग फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम एफ.एस.पी. पिसी के कारण होता है, जो मिट्टी में कई वर्षों तक सक्रिय रह सकता है।
लक्षण:

  • निचली पत्तियों का पीलापन।
  • तनों में संवहनी भूरापन (vascular browning)।
  • पौधे धीरे-धीरे मुरझाने लगते हैं और अंततः सूख जाते हैं।

जड़ सड़न (Root Rot): यह रोग राइजोक्टोनिया सोलानी, पाइथियम और कभी-कभी स्क्लेरोटियम रॉल्फ्सी के कारण होता है। नम और खराब जल निकासी वाली मिट्टी में यह रोग तेजी से फैलता है।
लक्षण:

  • जड़ों पर लाल-भूरे रंग के घाव।
  • जड़ों का क्षय और पौधों की वृद्धि रुक जाना।
  • पौधों में कमज़ोर शक्ति और कम फूल।

इन रोगों के प्रमुख कारण Main causes of these diseases:

  1. मिट्टी की स्थिति:
    अत्यधिक नमी और खराब जल निकासी रोगों के प्रसार को बढ़ावा देती है।
  2. तापमान:
  • फ्यूजेरियम विल्ट 25–30°C के तापमान पर अधिक सक्रिय रहता है।
  • जड़ सड़न ठंडी और गीली परिस्थितियों में तेजी से फैलता है।
  1. फसल चक्रण की कमी:
    लगातार मटर की खेती करने से मिट्टी में रोगाणुओं का निर्माण होता है।
  2. खरपतवार और पौधों के अवशेष:
    संक्रमित पौधों के अवशेष रोग के लिए इनोकुलम स्रोत बनते हैं।

रोग प्रबंधन के उपाय Disease management measures:

  1. फसल चक्रण (Crop Rotation): मटर की लगातार खेती से बचें। फसल चक्रण में गेहूं या जौ जैसी गैर-मेजबान फसलों का उपयोग करें।
  2. मृदा सौरीकरण (Soil Solarization): गर्मियों में खेत को पारदर्शी पॉलीथीन शीट से ढकने से मिट्टी में रोगजनक घटते हैं।
  3. खेत की सफाई: संक्रमित पौधों के मलबे को हटाकर जलाना आवश्यक है।
  4. जल निकासी का प्रबंधन: अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी तैयार करें ताकि जलभराव से बचा जा सके।
  5. प्रतिरोधी किस्मों का चयन: फ्यूजेरियम विल्ट-प्रतिरोधी मटर किस्में, जैसे अरकेल, रोग से बचाव में सहायक होती हैं।

जैविक नियंत्रण के तरीके biological control methods:

1. विरोधी कवक और जीवाणु का उपयोग:

  • ट्राइकोडर्मा हरजियानम, स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस, बैसिलस सबटिलिस जैसे जैव-उत्प्रेरकों से बीज उपचार।
  • मिट्टी में इनके उपयोग से रोग की घटनाएं कम होती हैं।

2. एंडोफाइट्स का उपयोग:

पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देने वाले एंडोफाइट्स, जैसे फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम, मिट्टी जनित रोगजनकों से निपटने में मदद करते हैं।

रोगों से बचाव के लिए अतिरिक्त सुझाव

  • खेत में नियमित रूप से फसल का निरीक्षण करें।
  • जैविक खाद और गोबर खाद का प्रयोग मिट्टी की सेहत सुधारता है।
  • सिंचाई के लिए साफ पानी का उपयोग करें।

निष्कर्ष: मटर की खेती में जड़ सड़न और विल्ट कॉम्प्लेक्स जैसे रोग गंभीर चुनौती पेश कर सकते हैं। इन रोगों के लक्षणों को पहचानकर समय पर प्रबंधन करना फसल की सुरक्षा के लिए जरूरी है। जैविक और पारंपरिक उपायों के सही उपयोग से इन रोगों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। सावधानी और प्रबंधन से आप अपनी मटर की फसल को न केवल बचा सकते हैं बल्कि उसकी गुणवत्ता और उत्पादन भी बढ़ा सकते हैं।