Onion mandi bhav today: प्याज के दामों में हेरफेर का खुलासा, किसान से लेकर कंज्यूमर तक, सब को हो रहा है नुकसान
18 Dec, 2024 12:00 AM IST Updated Wed, 18 Dec 2024 06:43 PM
देश में प्याज की बढ़ती कीमतों ने उपभोक्ताओं को परेशान कर दिया है। जहां किसान अपनी उपज थोक बाजार में औसतन ₹29-30 प्रति किलो के भाव पर बेच रहे हैं, वहीं खुदरा बाजार में यही प्याज उपभोक्ताओं को ₹60 प्रति किलो या उससे अधिक में मिल रहा है। सवाल यह उठता है कि इस कीमत के अंतर का असली लाभ कौन उठा रहा है? आइए जानते हैं इस समस्या के प्रमुख कारण और संभावित समाधान।
थोक और फुटकर कीमतों में अंतर: जिम्मेदार कौन Difference between wholesale and retail prices: who is responsible?
थोक बाजार की स्थिति: एगमार्कनेट के आंकड़ों के अनुसार, 16 दिसंबर 2024 को प्याज का औसत थोक भाव ₹2822.46 प्रति क्विंटल रहा। पिछले हफ्ते (9 दिसंबर) यह भाव ₹3601.54 प्रति क्विंटल था, जिससे एक सप्ताह में करीब 21% की गिरावट आई। इसके बावजूद फुटकर बाजार में इस गिरावट का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
फुटकर बाजार में बढ़े दाम: आलू, टमाटर और प्याज जैसी रोजमर्रा की सब्जियां अभी भी उपभोक्ताओं को ₹40-60 प्रति किलो की ऊंची कीमतों पर मिल रही हैं। थोक और फुटकर दरों के बीच का यह बड़ा अंतर बिचौलियों और व्यापारियों की वजह से है, जो किसानों से कम कीमत में खरीदकर खुदरा बाजार में महंगे दाम पर बेचते हैं।
पिछले वर्षों की तुलना में कीमतें: प्याज की कीमतों में पिछले कुछ वर्षों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है:
2023 (16 दिसंबर): औसत थोक कीमत ₹1984/क्विंटल।
2022 (16 दिसंबर): औसत थोक कीमत ₹1164/क्विंटल। इन आंकड़ों से साफ है कि थोक बाजार में कीमतें साल दर साल बढ़ी हैं, लेकिन किसानों को इसका उचित लाभ नहीं मिल सका।
मुनाफा बिचौलियों की झोली में:
बिचौलियों का खेल: किसान और उपभोक्ता दोनों नुकसान में हैं। थोक और फुटकर कीमतों के अंतर से सबसे ज्यादा मुनाफा व्यापारी और बिचौलिए कमा रहे हैं।
सरकार की कोशिशें नाकाफी: सरकार ने NCCF के जरिए 35 रुपये प्रति किलो प्याज बेचने की पहल की, लेकिन यह कदम बड़े स्तर पर कीमतों को नियंत्रित करने में कारगर साबित नहीं हुआ।
मुख्य कारण: कीमतों के बढ़ने का:
मांग और आपूर्ति का असंतुलन: मंडियों में प्याज की आवक बढ़ी है, लेकिन खुदरा बाजार में इसका फायदा उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंच रहा।
बिचौलियों का प्रभुत्व: किसान अपनी उपज सस्ते में बेचने को मजबूर हैं, जबकि उपभोक्ता महंगे दाम चुकाने पर मजबूर हैं।
लॉजिस्टिक्स और भंडारण: फसल को बाजार तक पहुंचाने और भंडारण की सीमित सुविधाएं भी कीमतों को प्रभावित करती हैं।
असमान वितरण: बड़े शहरों में कीमतें ज्यादा हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में यह कम हो सकती है।
सरकार और किसानों के लिए सुझाव:
सीधे बाजार मॉडल को बढ़ावा दें: किसानों और उपभोक्ताओं के बीच सीधा संवाद स्थापित किया जाए।
प्रभावी मूल्य नियंत्रण: थोक और फुटकर बाजार में कीमतों का संतुलन बनाए रखने के लिए सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
भंडारण सुविधाएं सुधारें: प्याज जैसी खराब होने वाली फसलों के लिए बेहतर भंडारण की व्यवस्था हो।
बिचौलियों पर निगरानी: व्यापारियों और बिचौलियों के मुनाफे पर सख्त नियंत्रण लगाया जाए।
निष्कर्ष: प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए चिंता का विषय है। जहां एक ओर किसान अपनी मेहनत का उचित मूल्य पाने में असमर्थ हैं, वहीं उपभोक्ताओं को महंगे दामों पर सब्जियां खरीदनी पड़ रही हैं। इस स्थिति में सरकार और संबंधित एजेंसियों को कदम उठाकर थोक और फुटकर बाजार के बीच की खाई को पाटने की जरूरत है।