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किसानों को सरकार का तोहफा, कृषि मंत्रालय का नया आदेश, किसानों को मिली बड़ी राहत

किसानों को सरकार का तोहफा, कृषि मंत्रालय का नया आदेश, किसानों को मिली बड़ी राहत
कृषि मंत्रालय का किसानों को तोहफा
30 Nov, 2024 12:00 AM IST Updated Sat, 30 Nov 2024 12:10 PM

सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद में राहत कृषि मंत्रालय ने हाल ही में किसानों के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने सोयाबीन की खरीद के नियमों में बदलाव करते हुए नमी की सीमा को बढ़ा दिया है। अब किसान अपनी 15% तक नमी वाली सोयाबीन को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बेच सकेंगे। पहले यह सीमा 12% तक थी। यह बदलाव विशेष रूप से उन किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा, जिनकी फसल अधिक नमी के कारण बाजार में नहीं बिक पा रही थी।

किसानों को होगा सीधा लाभ Farmers will get direct benefits:

इस आदेश से किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा। जिन किसानों की फसल अधिक नमी के कारण पहले MSP पर खरीदी नहीं जा रही थी, वे अब सरकारी दर पर अपनी उपज बेच सकते हैं। इससे न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि उन्हें अपनी मेहनत का सही प्रतिफल भी मिलेगा।

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राज्य सरकारें उठाएंगी अतिरिक्त खर्च State governments will bear additional expenses:

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि नमी बढ़ाने के कारण होने वाले अतिरिक्त खर्च का भार राज्य सरकारें उठाएंगी। केंद्रीय नोडल एजेंसियां, जैसे कि नेफेड (NAFED) और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC), राज्य स्तरीय एजेंसियों को इस नई व्यवस्था के अनुसार भुगतान करेंगी। इस योजना से यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को उनकी फसल के लिए पूरा MSP मिले और कोई भी वित्तीय नुकसान न हो।

खरीफ सीजन 2024 के लिए सोयाबीन का MSP MSP of soybean for Kharif season 2024:

केंद्र सरकार हर वर्ष खरीफ और रबी सीजन के लिए फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है। खरीफ विपणन सीजन 2024 के लिए सोयाबीन का MSP 4892 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। यह मूल्य सरकार द्वारा किसानों से सीधे खरीद के लिए लागू रहेगा।

सोयाबीन का बाजार मूल्य: MSP से कम: भारत में सोयाबीन का उत्पादन मुख्य रूप से महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में होता है। इन राज्यों में सोयाबीन का बाजार भाव MSP से काफी कम है। उदाहरण के लिए:

  • मध्यप्रदेश: औसत बाजार भाव 4073.71 रुपये प्रति क्विंटल
  • महाराष्ट्र: औसत बाजार भाव 4436 रुपये प्रति क्विंटल
    अधिक नमी वाले सोयाबीन का बाजार भाव और भी कम हो जाता है। निजी व्यापारी भी इसे कम दरों पर खरीदते हैं, जिससे किसानों को नुकसान होता है।

सरकारी खरीद के आंकड़े: महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में सरकारी खरीद के आंकड़े बताते हैं कि मध्यप्रदेश ने अब तक महाराष्ट्र से अधिक सोयाबीन खरीदी है।

  • मध्यप्रदेश: 9,971.94 टन
  • महाराष्ट्र: 3,887.94 टन
    यह अंतर दर्शाता है कि मध्यप्रदेश में किसानों को सरकारी योजनाओं का अधिक लाभ मिल रहा है।

महाराष्ट्र में खरीद में देरी का कारण: महाराष्ट्र में खरीद की धीमी गति के पीछे मुख्य कारण है सोयाबीन में 15% से अधिक नमी। सरकारी मानकों के अनुसार, इतनी अधिक नमी वाली फसल की खरीद संभव नहीं है। नमी अधिक होने पर तिलहन में गलन की संभावना रहती है, जो गुणवत्ता पर असर डालती है। हालांकि, अब नए नियमों के तहत 15% नमी तक वाली फसल को MSP पर खरीदा जाएगा। यह देखने लायक होगा कि इससे महाराष्ट्र में खरीद प्रक्रिया कितनी तेज होती है।

नए आदेश से किसानों को उम्मीदें: कृषि मंत्रालय के इस फैसले ने किसानों के लिए नई उम्मीदें जगाई हैं। अधिक नमी वाली फसल को MSP पर बेचने की अनुमति मिलने से किसानों को न केवल वित्तीय राहत मिलेगी, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। यह आदेश सोयाबीन उत्पादकों के लिए एक सकारात्मक कदम है, जो देश की कृषि व्यवस्था को और मजबूत बनाएगा।

निष्कर्ष: सरकार का यह निर्णय सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। नई नीतियों से किसानों की आय बढ़ाने और उनकी फसल का उचित मूल्य सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। अब देखना होगा कि राज्य सरकारें और नोडल एजेंसियां इसे जमीन पर कितनी कुशलता से लागू करती हैं।

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