Makka farming: रबी सीजन में मक्का की खेती, बीजों का चुनाव, बुवाई, सिंचाई, खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल के बारे में जानें
25 Nov, 2024 12:00 AM IST Updated Wed, 27 Nov 2024 06:27 AM
मक्का, जिसे मक्कई या कॉर्न के नाम से भी जाना जाता है, भारत में किसानों के लिए एक प्रमुख फसल है। बदलते खानपान और स्वास्थ्य जागरूकता के कारण इसकी खेती को एक बार फिर से बढ़ावा मिल रहा है। यह न केवल पोषण से भरपूर है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है, क्योंकि इसकी खेती में कम पानी और उर्वरकों की आवश्यकता होती है। आइए जानते हैं रबी सीजन में मक्का की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां।
मक्का की सफल खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी Suitable climate and soil for successful cultivation of maize:
मक्का की खेती के लिए गर्म और समशीतोष्ण जलवायु सबसे अनुकूल मानी जाती है।
तापमान: यह फसल 21-27 डिग्री सेल्सियस तापमान में बेहतर तरीके से उगती है।
मिट्टी का चयन: मक्का के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है, लेकिन इसे बलुई दोमट और काली मिट्टी में भी उगाया जा सकता है।
जल निकासी: खेत में जल निकासी का सही प्रबंध होना चाहिए।
खेत की तैयारी और जुताई प्रक्रिया Field preparation and plowing process:
मक्का की खेती में अच्छी जुताई और खेत की तैयारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
जुताई: मोल्डबोर्ड हल का उपयोग करके 2-3 बार जुताई करें। यह मिट्टी को मुलायम बनाने और खरपतवारों को खत्म करने में मदद करता है।
रोटावेटर का उपयोग: मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए रोटावेटर का प्रयोग करें।
खाद का प्रयोग: प्रति एकड़ 10 टन गोबर या जैविक खाद का छिड़काव करें। यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है।
बीज चयन और बुवाई की प्रक्रिया Seed selection and sowing process:
मक्का की बुवाई सही तरीके से करने से फसल की पैदावार में वृद्धि होती है।
बीज उपचार: बुवाई से पहले बीजों को थायमेथोक्सम 19.8% या साइनट्रेनिलिप्रोल 19.8% की 6 मि.ली. मात्रा प्रति किलो बीज के अनुसार उपचारित करें।
बुवाई का समय: रबी सीजन में मक्का की बुवाई अक्टूबर-नवंबर में करें।
बीज की दूरी: बीजों के बीच 20-25 सेमी और कतारों के बीच 60 सेमी का फासला सुनिश्चित करें।
सिंचाई और नमी का प्रबंधन Irrigation and moisture management:
मक्का की फसल में नमी बनाए रखना जरूरी है।
सिंचाई का समय: बुवाई के 45-65 दिन बाद मिट्टी में नमी की जांच करें और सिंचाई करें।
फूल और दाने बनने की अवस्था: इस समय मिट्टी में नमी बनाए रखें।
खरपतवार नियंत्रण weed control: मक्का की फसल में खरपतवार पौधों से पोषण चुरा लेते हैं, जिससे उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
निराई-गुड़ाई: समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें।
खरपतवारनाशकों का प्रयोग: उपयुक्त मात्रा में खरपतवारनाशकों का इस्तेमाल करें।
खाद और पोषण प्रबंधन Fertilizer and Nutrition Management: मक्का की फसल को संतुलित पोषण देने से उपज बढ़ती है।
नाइट्रोजन: पहली सिंचाई के दौरान नाइट्रोजन की आधी मात्रा दें, और शेष मात्रा फूल आने के समय डालें।
सूक्ष्म पोषक तत्व: जिंक और सल्फर की कमी होने पर उनका छिड़काव करें।
रबी सीजन के लिए मक्का की बेहतरीन किस्में:
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने रबी सीजन के लिए मक्का की उन्नत किस्में विकसित की हैं।
पूसा पॉपकॉर्न हाइब्रिड-2 (एपीसीएच 3):
यह किस्म रबी सीजन में सिंचाई के साथ उगाई जा सकती है।
103 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
प्रति हेक्टेयर 46 क्विंटल तक की पैदावार देती है।
यह महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु के किसानों के लिए उपयुक्त है।
निष्कर्ष: रबी सीजन में मक्का की खेती पोषण, पर्यावरण और आर्थिक दृष्टि से लाभदायक है। सही बीज, जलवायु, मिट्टी और खेती की विधि अपनाकर किसान उच्च पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप भी मक्का की खेती करने का विचार कर रहे हैं, तो इन टिप्स को अपनाकर बेहतर परिणाम हासिल करें।