Mushroom production: क्या महंत बिसाहू दास महाविद्यालय के मशरूम प्रयोग से कृषि क्षेत्र में मचेगा तूफान? पढ़ें यह चौंकाने वाली रिपोर्ट
10 Dec, 2024 12:00 AM IST Updated Tue, 10 Dec 2024 03:23 PM
भारत में ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए मशरूम उत्पादन को एक संभावित व्यवसाय के रूप में तेजी से प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी दिशा में छत्तीसगढ़ के महंत बिसाहू दास उद्यानिकी महाविद्यालय ने कम लागत में मशरूम उत्पादन का सफल प्रयोग किया है। इस पहल के माध्यम से युवाओं और छात्रों को न केवल मशरूम की खेती की तकनीकी जानकारी मिली, बल्कि स्वरोजगार के नए अवसर भी खुले।
धान के भूसे का उपयोग Uses of Paddy Straw:
महाविद्यालय में मशरूम उत्पादन के लिए धान के भूसे का उपयोग किया गया, जो सस्ता और आसानी से उपलब्ध होता है।
निर्जलीकरण की प्रक्रिया: ओएस्टर मशरूम के बीजों को बैग भरने से पहले गर्म पानी और फार्मलिन प्लस बाविस्टीन से निर्जलीकृत किया गया।
लागत का गणित: धान का भूसा ₹4 प्रति किलो की दर से उपलब्ध है। प्रत्येक बैग में 50 ग्राम मशरूम बीज डाला गया, जिससे प्रति बैग की कुल लागत ₹20 से भी कम आई।
उत्पादन क्षमता: एक बैग से 1.5 से 2 किलो तक मशरूम प्राप्त हुए।
ओएस्टर मशरूम उत्पादन की तकनीक Technology of oyster mushroom production:
महाविद्यालय के छात्रों को ओएस्टर मशरूम (सफेद और गुलाबी आयस्टर) की खेती की विधियां सिखाई गईं।
जीवन चक्र: ओएस्टर मशरूम का जीवन चक्र 25-30 दिन का होता है।
आदर्श तापमान: इसके लिए 23 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान सर्वोत्तम माना जाता है।
फसल की गुणवत्ता: इस विधि से उत्पादित मशरूम न केवल गुणवत्तापूर्ण हैं, बल्कि बाजार में अच्छी कीमत पर बिकने योग्य भी हैं।
सफल प्रयोग: छात्रों के अनुभव और उपलब्धियां Successful experiments: students experiences and achievements:
इस प्रयोग के अंतर्गत महाविद्यालय के प्रथम वर्ष के छात्रों ने मशरूम उत्पादन में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
मार्गदर्शन: यह प्रयास अधिष्ठाता डॉ. नारायण साहू और विषय अध्यापिका डॉ. चेतना जांगड़े के निर्देशन में किया गया।
स्वरोजगार के अवसर: छात्रों ने मशरूम उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में अपनाने की संभावनाएं खोजीं।
मशरूम उत्पादन के फायदे:
आर्थिक रूप से लाभकारी: मशरूम उत्पादन कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला व्यवसाय है।
पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल: धान के भूसे जैसे कृषि अपशिष्ट का पुन: उपयोग पर्यावरण के लिए लाभकारी है।
स्वास्थ्यवर्धक: मशरूम एक पोषण युक्त खाद्य पदार्थ है, जो प्रोटीन और विटामिन से भरपूर होता है।
युवाओं के लिए स्वरोजगार का सुनहरा अवसर: महाविद्यालय की इस पहल से यह स्पष्ट है कि मशरूम उत्पादन न केवल छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि उन्हें स्वरोजगार के लिए भी प्रेरित करता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में यह व्यवसाय युवाओं को आत्मनिर्भर बना सकता है।
किसानों के लिए भी यह अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकता है।
निष्कर्ष: महंत बिसाहू दास उद्यानिकी महाविद्यालय द्वारा किया गया मशरूम उत्पादन का यह प्रयोग स्वरोजगार की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। कम लागत और उच्च उत्पादकता के इस मॉडल को अपनाकर देश के अन्य हिस्सों में भी रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकते हैं। यह पहल न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करेगी, बल्कि युवाओं को आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित भी करेगी।