इंदौर। मध्यप्रदेश में फसल कटाई के बाद खेतों में नरवाई (फसल अवशेष) जलाने की समस्या पर प्रशासन सख्त हो गया है। पर्यावरण को हो रहे नुकसान और खेत की उर्वरा शक्ति में गिरावट को देखते हुए सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। अब किसानों द्वारा नरवाई जलाने पर जुर्माना वसूला जाएगा, साथ ही उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
इंदौर जिले में गेहूं की कटाई के बाद खेतों में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन ने विशेष प्रचार रथ रवाना किया है। कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया यह रथ सभी ग्राम पंचायतों में जाकर किसानों को जागरूक करेगा।
इस दौरान कृषि विभाग, पटवारी और पंचायत सचिव मिलकर हर गांव में किसान संवाद कार्यक्रम का आयोजन करेंगे। किसानों को नरवाई न जलाने के लाभ और सही प्रबंधन तकनीक के बारे में बताया जाएगा।
सरकार ने जुर्माने की राशि किसानों की जमीन के आकार के अनुसार तय की है:
इसके अलावा पुलिस द्वारा प्रकरण दर्ज कर कानूनी कार्यवाही भी की जा सकती है।
कृषि उप संचालक सी.एल. केवड़ा के अनुसार, नरवाई जलाने से कई गंभीर नुकसान होते हैं:
नरवाई प्रबंधन के आसान उपाय:
किसानों को नरवाई जलाने की बजाय इसके उचित प्रबंधन के लिए कई विकल्प दिए गए हैं:
नरवाई से अतिरिक्त कमाई का अवसर:
जिला प्रशासन और कृषि विभाग का मानना है कि यदि किसान नरवाई का उचित उपयोग करें, तो इससे उन्हें अतिरिक्त आय भी हो सकती है। इससे पशुओं के लिए भूसा, खेत के लिए जैविक खाद और मिट्टी की संरचना सुरक्षित रहती है। इसके अलावा धरती के तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।
सरकार की इस पहल का उद्देश्य न केवल पर्यावरण को बचाना है, बल्कि किसानों को जागरूक कर एक स्थायी खेती प्रणाली को अपनाने के लिए प्रेरित करना है। यदि किसान जागरूक होकर नरवाई का प्रबंधन सही तरीके से करें, तो उन्हें न केवल जुर्माने से बचा जा सकता है बल्कि इससे अतिरिक्त आमदनी भी हो सकती है।
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