पराली जलाने से पहले पढ़ लें ये खबर – वरना भरना पड़ सकता है भारी जुर्माना

पराली जलाने से पहले पढ़ लें ये खबर – वरना भरना पड़ सकता है भारी जुर्माना

पराली जलाने पर अब लगेगा तगड़ा जुर्माना

kd-icon
कृषि दुनिया
  • 08 Apr, 2025 12:29 PM IST ,
  • Updated Tue, 08 Apr 2025 02:10 PM

इंदौर। मध्यप्रदेश में फसल कटाई के बाद खेतों में नरवाई (फसल अवशेष) जलाने की समस्या पर प्रशासन सख्त हो गया है। पर्यावरण को हो रहे नुकसान और खेत की उर्वरा शक्ति में गिरावट को देखते हुए सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। अब किसानों द्वारा नरवाई जलाने पर जुर्माना वसूला जाएगा, साथ ही उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।

5 से 16 अप्रैल तक चल रहा है विशेष जागरूकता अभियान

इंदौर जिले में गेहूं की कटाई के बाद खेतों में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन ने विशेष प्रचार रथ रवाना किया है। कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया यह रथ सभी ग्राम पंचायतों में जाकर किसानों को जागरूक करेगा।

इस दौरान कृषि विभाग, पटवारी और पंचायत सचिव मिलकर हर गांव में किसान संवाद कार्यक्रम का आयोजन करेंगे। किसानों को नरवाई न जलाने के लाभ और सही प्रबंधन तकनीक के बारे में बताया जाएगा।

नरवाई जलाने पर कितना देना होगा जुर्माना?

सरकार ने जुर्माने की राशि किसानों की जमीन के आकार के अनुसार तय की है:

  • 2 एकड़ तक की भूमि – ₹2,500 प्रति घटना
  • 2 से 5 एकड़ भूमि – ₹5,000 प्रति घटना
  • 5 एकड़ से अधिक भूमि – ₹15,000 प्रति घटना

इसके अलावा पुलिस द्वारा प्रकरण दर्ज कर कानूनी कार्यवाही भी की जा सकती है।

नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान:

कृषि उप संचालक सी.एल. केवड़ा के अनुसार, नरवाई जलाने से कई गंभीर नुकसान होते हैं:

  • मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु और केंचुए नष्ट हो जाते हैं।
  • भूमि की उर्वरा शक्ति घटती है।
  • जमीन की जल धारण क्षमता कम हो जाती है।
  • आग फैलने का खतरा बढ़ता है जिससे फसल, जान और माल का नुकसान हो सकता है।
  • पर्यावरण प्रदूषित होता है और वातावरण का तापमान बढ़ता है।

नरवाई प्रबंधन के आसान उपाय:

किसानों को नरवाई जलाने की बजाय इसके उचित प्रबंधन के लिए कई विकल्प दिए गए हैं:

  • स्ट्रॉ रीपर मशीन से भूसा तैयार किया जा सकता है।
  • वेलर मशीन से बेल बनाकर कागज उद्योग या बायोमास प्लांट को बेचा जा सकता है।
  • मल्चर मशीन से नरवाई को काटकर खेत में ही मिलाया जा सकता है, जिससे यह जैविक खाद बन जाती है।
  • कम्बाइन हार्वेस्टर में स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) का उपयोग करें।
  • कल्टीवेटर, रोटावेटर, डिस्क हेरो आदि से नरवाई को मिट्टी में मिलाकर जीवांश खाद की बचत की जा सकती है।

नरवाई से अतिरिक्त कमाई का अवसर:

जिला प्रशासन और कृषि विभाग का मानना है कि यदि किसान नरवाई का उचित उपयोग करें, तो इससे उन्हें अतिरिक्त आय भी हो सकती है। इससे पशुओं के लिए भूसा, खेत के लिए जैविक खाद और मिट्टी की संरचना सुरक्षित रहती है। इसके अलावा धरती के तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।

सरकार की इस पहल का उद्देश्य न केवल पर्यावरण को बचाना है, बल्कि किसानों को जागरूक कर एक स्थायी खेती प्रणाली को अपनाने के लिए प्रेरित करना है। यदि किसान जागरूक होकर नरवाई का प्रबंधन सही तरीके से करें, तो उन्हें न केवल जुर्माने से बचा जा सकता है बल्कि इससे अतिरिक्त आमदनी भी हो सकती है।

ये भी पढें- फूल झड़ने और कीड़े लगने से परेशान? बैंगन के पौधे में मिलाएं ये चीज और देखिए कमाल

Advertisement
Advertisement