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Rabi Crop Irrigation: रबी फसलों की सिंचाई इस तरह करे, पानी भी बचेगा और उत्पादन भी बढ़िया होगा, जानें सिंचाई विधि

Rabi Crop Irrigation: रबी फसलों की सिंचाई इस तरह करे, पानी भी बचेगा और उत्पादन भी बढ़िया होगा, जानें सिंचाई विधि
स्प्रिंकलर सिंचाई
09 Dec, 2024 12:00 AM IST Updated Mon, 09 Dec 2024 06:28 PM

रबी फसलों की सिंचाई कृषि में सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है, लेकिन अक्सर यह देखा जाता है कि किसान सतही सिंचाई पद्धतियों का उपयोग करते हैं, जो बहुत अधिक पानी की खपत करती हैं। ऐसे में, किसानों के लिए सिंचाई की एक ऐसी विधि को अपनाना जरूरी है, जिससे पानी की बचत हो और उत्पादन में भी वृद्धि हो। आज हम इस आर्टिकल में रबी फसलों के लिए एक उन्नत सिंचाई पद्धति 'स्प्रिंकलर सिंचाई' के बारे में जानेंगे, जो कम पानी में उच्च उत्पादन प्राप्त करने में सहायक हो सकती है।

स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति के मुख्य घटक Main components of sprinkler irrigation system:

स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति को बौछरी सिंचाई भी कहा जाता है। इसमें पानी का छिड़काव फव्वारे या स्प्रिंकलर के माध्यम से किया जाता है, जिससे पौधों पर वर्षा की बूंदें गिरती हैं। इस विधि का उपयोग रबी फसलों के लिए विशेष रूप से किया जाता है, क्योंकि यह पानी की बचत के साथ-साथ पौधों को उचित मात्रा में नमी भी प्रदान करती है। स्प्रिंकलर सिस्टम के मुख्य घटक होते हैं:

  • पंप: जो पानी को दबाव के साथ नलियों में भेजता है।
  • मुख्य नली और बगल की नली: पानी को खेत तक पहुँचाने के लिए उपयोग की जाती हैं।
  • पानी छिड़कने वाला फुहारा: जो पानी को पूरे खेत में समान रूप से छिड़कता है।

स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति में पानी का दबाव उच्च होता है, जिससे पानी की बूंदें दूर-दूर तक फैल जाती हैं और खेत की पूरी सतह पर समान रूप से सिंचाई होती है।

स्प्रिंकलर सिंचाई के फायदे Benefits of sprinkler irrigation:

  1. पानी की बचत: स्प्रिंकलर सिंचाई सतही सिंचाई की तुलना में 25-50% अधिक पानी बचाती है। सतही सिंचाई में पानी का एक बड़ा हिस्सा व्यर्थ चला जाता है, जबकि स्प्रिंकलर प्रणाली में पानी सीधे पौधों तक पहुँचता है।
  2. ऊँच-नीच वाले क्षेत्रों में सिंचाई: यह विधि उन क्षेत्रों में बहुत प्रभावी है जहाँ भूमि ऊँची-नीची होती है, और जहाँ सतही सिंचाई पद्धतियाँ काम नहीं करतीं। विशेषकर बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में यह विधि अत्यधिक लाभकारी साबित होती है।
  3. बेहतर फसल वृद्धि और गुणवत्ता: स्प्रिंकलर सिंचाई से मृदा में नमी का स्तर उचित रहता है, जिससे फसलों की वृद्धि और गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके अलावा, यह विधि भूमि पर जल भराव से बचाती है, जिससे पानी के बहाव से होने वाली हानि नहीं होती है।
  4. उर्वरक और कीटनाशकों का आसानी से प्रयोग: इस प्रणाली के माध्यम से सिंचाई करते हुए घुलनशील उर्वरक, कीटनाशक और खरपतवार नाशक का भी आसानी से प्रयोग किया जा सकता है, जिससे फसल की गुणवत्ता में और अधिक सुधार हो सकता है।
  5. पाले से सुरक्षा: स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह पाला पड़ने से पहले पानी का छिड़काव करके तापमान बढ़ा देती है, जिससे पाले के प्रभाव से फसल को बचाया जा सकता है।

स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति का रखरखाव: स्प्रिंकलर प्रणाली को लंबे समय तक सही तरीके से चलाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियाँ रखनी चाहिए:

  • सिंचाई जल का निरीक्षण करें और सुनिश्चित करें कि वह स्वच्छ हो।
  • उर्वरक या कीटनाशक के उपयोग के बाद सिस्टम को अच्छी तरह से सफाई से साफ करें।
  • प्लास्टिक वाशरों की नियमित जाँच करें और समय-समय पर बदलें।
  • रबर सील को साफ रखें और फिटिंग के भागों को अलग करके शुष्क स्थान पर रखकर सुरक्षित रखें।

सतही सिंचाई प्रणाली: एक संक्षिप्त परिचय: भारत में ज्यादातर क्षेत्रों में सतही सिंचाई का ही उपयोग होता है। इसमें नहरों से पानी को नालियों द्वारा खेतों में पहुँचाया जाता है। हालांकि, इस प्रणाली में यदि खेत समतल नहीं होते तो पानी की काफी बर्बादी होती है। इस समस्या को हल करने के लिए अब किसान लेजर तकनीक का उपयोग कर सकते हैं, जिससे खेत समतल हो जाते हैं और जलोपयोग की दक्षता बढ़ जाती है।

निष्कर्ष: स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति रबी फसलों के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित हो सकती है। यह न केवल पानी की बचत करती है, बल्कि फसल की वृद्धि और गुणवत्ता में भी सुधार करती है। इसके अलावा, यह विधि उन क्षेत्रों में भी प्रभावी है जहाँ सतही सिंचाई कठिन होती है। किसानों को इस पद्धति का उपयोग बढ़ाना चाहिए, ताकि कम पानी में भी उच्चतम उत्पादन प्राप्त किया जा सके और कृषि के जल उपयोग दक्षता में सुधार हो सके।

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