मार्च के महीने में अमरूद के पेड़ों पर फूल आना शुरू हो जाता है, इसलिए इस समय कुछ विशेष देखभाल करने की आवश्यकता होती है। सही तकनीकों को अपनाने से अमरूद के पेड़ों पर बड़े और अधिक फल लगते हैं, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिलता है। अमरूद में फूल आने के लगभग तीन महीने बाद फल तैयार होते हैं। यदि इस समय सही कृषि प्रबंधन किया जाए, तो अमरूद की उपज और गुणवत्ता दोनों में सुधार किया जा सकता है।
भारत अमरूद उत्पादन में दुनिया में अग्रणी स्थान रखता है। देश में लगभग 3.50 लाख हेक्टेयर भूमि पर अमरूद की खेती की जाती है, जिससे 53.68 लाख टन से अधिक अमरूद का उत्पादन होता है। अमरूद स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर फल है, जिसे ताजा खाने के अलावा जैम, जेली, जूस आदि बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है। इसलिए, अमरूद की खेती व्यावसायिक और घरेलू स्तर पर दोनों तरह से की जाती है।
अमरूद के पेड़ साल में तीन बार फूल और फल देते हैं, जिन्हें बहार कहा जाता है:
अगर तीनों बहार से फसल ली जाए, तो फलों की गुणवत्ता और उत्पादन में कमी आ सकती है। इसलिए, सिर्फ एक या दो बहार से फसल लेना अधिक फायदेमंद रहता है।
फरवरी-मार्च में आने वाले फूलों (हस्त बहार) को हटाना फायदेमंद होता है क्योंकि इस समय तापमान अधिक होता है और फलों की गुणवत्ता खराब हो सकती है। इसके बजाय, मृग बहार में आने वाले फूलों से फसल लेना बेहतर माना जाता है क्योंकि सर्दियों में फल तैयार होते हैं और इस दौरान कीट व रोगों का प्रकोप कम रहता है।
मृग बहार में फूल जून-जुलाई में आते हैं और फल सर्दियों में तैयार होते हैं। इस समय कीट एवं रोगों का प्रकोप कम रहता है, जिससे फलों की गुणवत्ता बेहतर होती है और किसानों को अधिक लाभ मिलता है। कृषि वैज्ञानिक मृग बहार से फसल लेने की सलाह देते हैं और अन्य दो बहारों (अंबे व हस्त बहार) के फूलों को हटाने की प्रक्रिया को बहार नियंत्रण कहा जाता है।
रसायनों का प्रयोग:
इनका छिड़काव 15 अप्रैल से 15 मई के बीच किया जाता है, जिससे अमरूद के अनचाहे फूल गिर जाते हैं।
मार्च में सही देखभाल और बहार नियंत्रण तकनीक अपनाकर अमरूद की फसल को अधिक उत्पादक और लाभदायक बनाया जा सकता है। किसानों को मृग बहार से फसल लेने पर ध्यान देना चाहिए, ताकि फलों की उच्च गुणवत्ता और बेहतर बाजार मूल्य प्राप्त हो सके। इस तरह, सही कृषि प्रबंधन अपनाकर किसान अमरूद की खेती से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।