रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही किसान गेहूं और सरसों की बुवाई में जुट गए हैं। इस साल इन फसलों के रकबे में बढ़ोतरी की संभावना है, इसलिए अधिक पैदावार के लिए फसलों को आवश्यक पोषक तत्व देना बहुत महत्वपूर्ण है। गेहूं और सरसों की बेहतर पैदावार के लिए पोटाश का सही प्रकार चुनना भी बेहद जरूरी है। बाजार में दो प्रकार के पोटाश उपलब्ध हैं - लाल पोटाश और सफेद पोटाश। आइए जानते हैं कौन सा पोटाश इन फसलों के लिए अधिक लाभकारी हो सकता है।
लाल पोटाश, जिसे रासायनिक रूप में पोटेशियम क्लोराइड (KCl) के नाम से जाना जाता है, इसमें लगभग 60% पोटेशियम और 40% क्लोराइड होता है। यह किफायती होता है और इसकी लागत भी कम होती है, जिससे यह गेहूं, मक्का, धान, गन्ना, सोयाबीन जैसी सामान्य फसलों के लिए उपयुक्त विकल्प बनता है। हालांकि, इसके उपयोग में कुछ सावधानियां बरतनी आवश्यक हैं:
लाल पोटाश उन फसलों के लिए अधिक अनुकूल है जो क्लोराइड-संवेदनशील नहीं हैं, जैसे कि धान, मक्का, मूंगफली और दलहनी फसलें। लेकिन गेहूं और सरसों जैसी फसलों के लिए इसके उपयोग में सावधानी बरतनी चाहिए।
सफेद पोटाश, जिसे पोटेशियम सल्फेट (K₂SO₄) के रूप में जाना जाता है, में 50% पोटेशियम और 18% सल्फर होता है। यह लाल पोटाश की तुलना में महंगा होता है, लेकिन कुछ खास फसलों के लिए अधिक लाभकारी है:
पोटाश की सही मात्रा: फसलों में पोटाश का उपयोग सही मात्रा में करना बेहद आवश्यक है ताकि फसल की वृद्धि अच्छी हो और मिट्टी का स्वास्थ्य भी बना रहे। पोटाश की अधिक मात्रा से फसल को नुकसान हो सकता है और मिट्टी का pH संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे भूमि की उर्वरता भी प्रभावित हो सकती है। इसलिए फसल के अनुसार पोटाश का संतुलित उपयोग करें। यहाँ विभिन्न फसलों में पोटाश की अनुशंसित मात्रा दी जा रही है:
ध्यान रखें कि पोटाश की सही मात्रा का उपयोग न केवल फसल की गुणवत्ता को बढ़ाता है, बल्कि यह मिट्टी के स्वास्थ्य को भी बनाए रखता है।
निष्कर्ष: रबी फसलों के लिए पोटाश का चयन फसल की जरूरतों और मिट्टी की स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। गेहूं और सरसों की फसल के लिए सफेद पोटाश का उपयोग अधिक लाभकारी है क्योंकि इसमें सल्फर की उपस्थिति और क्लोराइड की अनुपस्थिति इसे अधिक उपयुक्त बनाती है। वहीं, अन्य सामान्य फसलों के लिए लाल पोटाश किफायती और उपयुक्त विकल्प हो सकता है।