चारे की किल्लत खत्म! गर्मी में पशुओं के लिए हरा चारा उगाने के लिए इन 3 घासों की खेती करें

चारे की किल्लत खत्म! गर्मी में पशुओं के लिए हरा चारा उगाने के लिए इन 3 घासों की खेती करें

घासों की खेती

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कृषि दुनिया
  • 08 Mar, 2025 01:08 PM IST ,
  • Updated Sat, 08 Mar 2025 04:45 PM

गर्मी के मौसम में पशुपालकों को हरे चारे की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे पशुओं के दूध उत्पादन में गिरावट आती है। लेकिन अगर किसान मार्च के महीने में कुछ विशेष घासों की खेती करें, तो वे गर्मी में भी भरपूर हरा चारा प्राप्त कर सकते हैं। इससे पशुओं के पोषण में सुधार होगा और उनकी उत्पादकता भी बढ़ेगी। आज हम आपको तीन महत्वपूर्ण हरे चारे की फसलों के बारे में बताएंगे, जो गर्मी में चारे की कमी को पूरा करने में मदद करेंगी।

1. हाथी घास (नेपियर घास) – पशुपालकों के लिए बेहतरीन चारा:

नेपियर घास, जिसे हाथी घास भी कहा जाता है, पशुपालकों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है। यह घास बेहद पौष्टिक होती है और पशुओं के दूध उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होती है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन और फाइबर पाया जाता है, जो पशुओं के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।

नेपियर घास की खेती कैसे करें?

  • किसान इस घास की खेती किसी भी मौसम में कर सकते हैं।
  • इसे डंठल (स्टिक) द्वारा उगाया जाता है, जिसे 1.5 से 2 फीट की दूरी पर खेत में लगाया जाता है।
  • 1 बीघा खेत के लिए करीब 8000 डंठलों की आवश्यकता होती है।
  • इसकी बुवाई का सही समय जुलाई-अक्टूबर और फरवरी-मार्च होता है।
  • इस घास की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली मटियार और बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।

2. लोबिया – तेजी से बढ़ने वाली दलहनी चारा फसल:

अगर किसान गर्मी में पशुओं के लिए तेजी से उगने वाला हरा चारा चाहते हैं, तो लोबिया सबसे अच्छा विकल्प है। यह एक दलहनी फसल है, जो पशुओं के लिए पौष्टिक और पाचन में आसान होती है। लोबिया का हरा चारा दूध उत्पादन में वृद्धि करता है और पशुओं को आवश्यक पोषण प्रदान करता है।

लोबिया की खेती कैसे करें?

  • इसकी खेती के लिए दोमट, बलुई और हल्की काली मिट्टी उपयुक्त होती है।
  • बुवाई का सही समय मार्च से अप्रैल के बीच होता है।
  • 30 से 35 किलो बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है।
  • बीजों को कतारों में 25 से 30 सेमी की दूरी पर बोना चाहिए।
  • बुवाई के समय प्रति हेक्टेयर 20 किलो नाइट्रोजन और 60 किलो फास्फोरस का उपयोग करें।
  • इसकी कटाई 85 से 90 दिनों बाद की जा सकती है।

3. रिजका (लूसर्न) – चारा फसलों की रानी:

रिजका, जिसे लूसर्न के नाम से भी जाना जाता है, को "चारा फसलों की रानी" कहा जाता है। यह फसल गर्मी के मौसम में हरे चारे की निरंतर आपूर्ति प्रदान करती है। रिजका का हरा चारा पशुओं की पाचन शक्ति बढ़ाने के साथ दूध उत्पादन में भी मदद करता है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे एक बार लगाने के बाद कई बार काटा जा सकता है।

रिजका की खेती कैसे करें?

  • रिजका की खेती के लिए पीएच मान 5.7 या उससे अधिक वाली उर्वरक भूमि उपयुक्त होती है।
  • खेती से पहले एक गहरी जुताई के बाद 2-3 बार हैरो चलाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए।
  • बुवाई कतारों में 15-20 सेमी की दूरी पर करें, ताकि अच्छी वृद्धि हो सके।
  • 25-30 किलो नाइट्रोजन और 50-60 किलो फास्फोरस प्रति हेक्टेयर उपयोग करें।
  • बुवाई के लगभग 55-60 दिनों बाद पहली कटाई की जा सकती है।

अगर किसान मार्च के महीने में नेपियर घास, लोबिया और रिजका जैसी चारा फसलों की खेती करते हैं, तो गर्मी में हरे चारे की कमी से पूरी तरह बच सकते हैं। इससे पशुओं को संतुलित पोषण मिलेगा, दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होगी और पशुपालकों की आय भी बढ़ेगी। अगर आप भी अपने पशुओं के लिए गर्मी में पर्याप्त हरा चारा चाहते हैं, तो अभी से इन फसलों की खेती शुरू करें।

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