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जलवायु/तापमान Climate/Temperature: प्याज के पौधे के लिए गर्म और नम जलवायु उपयुक्त होती है। प्याज की फसल रबी की होती है, लेकिन इसे खरीफ में भी उगाया जा सकता है। प्याज की बुवाई इस प्रकार करनी चाहिए कि कटाई के समय बारिश न हो। कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। प्याज के बीजों का अंकुरण 20°C से 25°C के बीच होता है, जबकि कंद के विकास के लिए लंबे दिन और अधिक तापमान की जरूरत होती है।

जल की मांग Water demand:

प्याज की उपज के लिए 400-700 मिमी जल की आवश्यकता होती है। बीजारोपण के समय पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। सिंचाई हल्की और जल्दी-जल्दी करनी चाहिए, और इसे हर 7-13 दिन में दोहराना चाहिए। प्याज की जड़ें 8-10 सेमी गहराई तक लगाई जाती हैं। कंदों के पूरी तरह पकने के 15-20 दिन पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए।

मिट्टी Soil: प्याज के लिए रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त है, जिसमें जल निकासी अच्छी हो। अच्छी उपज के लिए मिट्टी में उचित ऊर्वरता होनी चाहिए। मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.5 होना चाहिए। अधिक पीएच वाली मिट्टी में जिप्सम और कम पीएच वाली मिट्टी में चूना मिलाएं।

प्रमुख किस्में Major varieties:

प्याज की कुछ प्रमुख किस्में इस प्रकार हैं:

  • एग्रीफाउंड डार्क रेड (खरीफ), एग्रीफाउंड लाइट रेड (रबी), अर्का प्रगति (दोनों ऋतु), एन-53, भीमा सुपर, भीमा रेड।

फसल की बुवाई Crop sowing:

प्याज खरीफ में जुलाई-अगस्त और रबी में दिसंबर-जनवरी में बोई जाती है। इसकी कटाई खरीफ में नवंबर-दिसंबर और रबी में मार्च-मई में की जाती है। पौधों की कतार से कतार की दूरी 10-15 सेमी रखी जाती है।

भूमि की तैयारी Land Preparation: गहरी जुताई करके मिट्टी को पलटें। खेत को समतल करें और क्यारियां बनाएं। गोबर की खाद और कम्पोस्ट का प्रयोग करें। ड्रिप या स्प्रिंकलर से सिंचाई करें।

जल प्रबंधन Water management: खरीफ में 5-8 बार और रबी में 12-15 बार सिंचाई की जाती है। देरी से बुवाई वाली फसल में 12 बार सिंचाई आवश्यक होती है।

कटाई Harvesting: फसल 4-5 माह में तैयार होती है। कंदों को उनके पूरी तरह विकसित होने और पत्तियों के सूखने के बाद ही काटें। कटाई के बाद प्याज को खेत में सुखाएं।

रोग और रोकथाम Disease and prevention:

  1. कंडुआ रोग: 30-35°C तापमान और 80-90% नमी में यह रोग फैलता है। रोगग्रस्त पौधों को हटा दें।
  2. अधारीय सड़न: यह रोग अधिक नमी और औसत तापमान में होता है। सफेद फफूंद कंद पर दिखती है।
  3. आर्द्र गलन: अधिक आर्द्रता के कारण बीज सड़ते हैं और पौधों की मृत्यु होती है। स्वस्थ बीजों का चयन करें।
  4. पत्ती धब्बा: तापमान के उतार-चढ़ाव से पत्तियों पर धब्बे पड़ते हैं। फसल चक्र अपनाएं।
  5. थ्रिप्स: यह कीट पत्तियों का रस चूसता है और फसल को नुकसान पहुंचाता है। नीम कोटेड यूरिया का प्रयोग करें।
  6. कतरा रोग: यह रोग सिंचाई की कमी के कारण होता है। फैरोमोन ट्रैप का उपयोग करें।
  7. माहु रोग: पत्तियों को पीला कर देता है। फसल चक्र अपनाएं और रोगग्रस्त कंदों को अलग करें।

भंडारण Storage: प्याज के भंडारण के लिए वेंटिलेशन जरूरी है। भंडारण की ऊँचाई 90-150 सेमी होनी चाहिए। 25 मीट्रिक टन प्याज के लिए भंडारण क्षेत्र 4.5x6.0 मीटर होना चाहिए।