जलवायु / तापमान Climate/Temperature:
- मक्के की फसल खरीफ व वर्षा ऋतु की फसल है और यह सभी प्रकार की जलवायु में उगाई जा सकती है।
- मक्का एक मोटे अनाज की श्रेणी में आता है और इसकी पैदावार भारत में खाद्यान्न उत्पादन में अग्रणी है।
- मक्के के लिए 21 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है।
- ठंड में अत्यधिक पाला पड़ने से मक्के की वृद्धि रुक जाती है और अंकुरण में कमी आती है।
जल की मांग Water demand:
- मक्के की फसल में 550 से 750 मिमी पानी की आवश्यकता होती है।
- मक्के को अंकुरण और भुट्टे बनने की अवस्था में सिंचाई की आवश्यकता होती है।
मिट्टी Soil:
- मक्के की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है।
- मिट्टी की पी.एच. 6.0 से 7 के बीच होनी चाहिए।
मुख्य किस्में Main varieties:
- मंजरी, प्रिया, शुगर 75, माधुरी, गंगा-5, गंगा सफेद-2, और गंगा 11 जैसी प्रमुख किस्में मक्के के लिए प्रसिद्ध हैं।
फसल की बुवाई Crop sowing:
- मक्के की बुवाई वर्षा प्रारंभ होने पर करनी चाहिए।
- बीज की बुवाई में 3-5 सेमी गहराई होनी चाहिए और प्रत्येक छेद में 2 बीज डालें।
बुवाई का उपयुक्त समय Suitable time of sowing:
- खरीफ मौसम की बुवाई जून से जुलाई में और रबी मौसम की बुवाई अक्टूबर में की जाती है।
खेत की तैयारी Field Preparation:
- खेत की पहली जुताई मानसून से पहले और गोबर की खाद मिलाने के बाद करें।
फसल चक्र Crop rotation:
- मक्के की फसल का जीवनकाल 70 से 120 दिन तक होता है।
जल प्रबंधन water management:
- मक्के के फसल में 400-600 मिमी पानी की आवश्यकता होती है और पुष्पन व दाने बनने के समय सिंचाई जरूरी है।
खरपतवार प्रबंधन Weed Management:
- बुवाई के 3 दिन बाद संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए एट्राजिन का छिड़काव करें और 30 दिन बाद चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए 2-4 डी रसायन का प्रयोग करें।
कटाई Harvesting:
- मक्के की फसल 70-120 दिन में कटाई के लिए तैयार होती है।
- थ्रेशर की मदद से भुट्टों से दाने निकालकर गहाई की जाती है।
रोग और उनका प्रबंधन Diseases and their management:
- मक्का खाने वाला कीड़ा: भुट्टों को नुकसान पहुँचाता है, रोकथाम के लिए सौर जाल का प्रयोग करें।
- सैनिक सुंडी: यह पौधे की पत्तियों को खाती है, रोकथाम के लिए सौर प्रकाश जाल का उपयोग करें।
- सिरा मक्खी: जड़ को नष्ट करती है, रोकथाम के लिए फसल अवशेष नष्ट करें।
- तुलासिता रोग: पत्तियों पर पीली धारियाँ पड़ती हैं, रोकथाम के लिए गोमूत्र और धतूरे के मिश्रण का छिड़काव करें।
- रतुआ रोग: पत्तियों पर भूरे धब्बे होते हैं, प्रभावित पौधों को नष्ट कर दें।
- तना छेदक: तने को नुकसान पहुँचाता है, रोकथाम के लिए ट्रैप लाइट का उपयोग करें।
उपज और भंडारण Yield and Storage:
- मक्के की उपज 18 से 32 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
- भंडारण के लिए दानों को धूप में सुखाकर 12% आर्द्रता तक सुखाएँ।