जलवायु / तापमान Climate/Temperature:
- लहसुन के पौधों को विकास के दौरान ठंडी और नम अवधि, और बल्बों की परिपक्वता के दौरान अपेक्षाकृत शुष्क अवधि की आवश्यकता होती है।
- लहसुन की फसल अत्यधिक गर्म और अत्यधिक ठंडे तापमान में नहीं उगाई जा सकती।
- शाकीय वृद्धि और कंद विकास की अवस्था में ठंडी और नम जलवायु आवश्यक है।
तापमान Temperature
- लहसुन की खेती के लिए 25 से 29 डिग्री सेल्सियस तापमान, 10 घंटे का दिन और 70 प्रतिशत आर्द्रता उपयुक्त होती है।
- यदि लहसुन कम तापमान में लंबे समय तक रहेगा, तो पत्तियों में कंदिका उत्पन्न हो सकती है, जिससे कंद की उपज कम हो सकती है।
फसल की जलमांग Crop water demand:
- लहसुन की फसल के लिए पानी की आवश्यकता 700 से 800 मिमी वर्षा के बराबर होनी चाहिए।
- मिट्टी या दोमट मिट्टी पर प्रति सप्ताह कम से कम 1 इंच और रेतीली मिट्टी पर 2 इंच तक पानी मिलना चाहिए।
- आवश्यक जल 900 से 1200 मिलीलीटर उपयुक्त है। चिकनी मिट्टी पर लंबे समय तक भारी पानी देना सर्वोत्तम होता है, जबकि रेतीली मिट्टी पर कम, लेकिन अधिक बार पानी देना आदर्श है।
मिट्टी की आवश्यकता Soil requirement:
- लहसुन की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त है।
- विभिन्न प्रकार की मिट्टी में लहसुन उगाया जा सकता है, लेकिन यह उपजाऊ, अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में बेहतर ढंग से पनपता है।
- उच्च जैविक सामग्री वाली मिट्टी में बढ़ी हुई नमी और पोषक तत्व धारण करने की क्षमता होती है।
पी.एच. मिट्टी P.H. Soil:
- लहसुन की फसल के लिए उपयुक्त पी.एच. 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
- लहसुन की फसल अम्लीय, क्षारीय और लवणीय मिट्टी में संवेदनशील होती है।
- उर्वरक पोषक तत्वों का उपयोग करते समय फॉस्फोरस, पोटेशियम और सल्फर को रोपण से पहले लागू और शामिल किया जाना चाहिए।
लहसुन की प्रमुख किस्में Major varieties of garlic:
लहसुन की तीन प्रमुख किस्में पाई जाती हैं:
- यमुना सफेद (जी-1): प्रत्येक शल्क कंद ठोस, बाहरी त्वचा चांदी की तरह सफेद और क्रीम रंग की होती है। यह 150-160 दिनों में तैयार होती है और पैदावार 150-160 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
- यमुना सफेद 2 (जी-50): ठोस त्वचा वाले शल्क कंद सफेद गुदा क्रीम रंग के होते हैं। यह 165-170 दिनों में तैयार होती है, और पैदावार 130-140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह बैगनी धब्बा और झुलसा रोग के प्रति सहनशील है।
- यमुना सफेद 3 (जी-282): इसके बड़े आकार के शल्क कंद का व्यास 4-7.6 सेमी है, और यह 140-150 दिनों में तैयार होती है। इसकी पैदावार 175-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और यह निर्यात के लिए बहुत अच्छी है।
भूमि की तैयारी Land preparation:
- गहरी जुताई करें और मिट्टी की जैविक सामग्री को बढ़ाने के लिए अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर डालें।
- मिट्टी को समतल करें और छोटे-छोटे क्यारियों में विभाजित करें।
- खेत में गोबर खाद और कंपोस्ट बैक्टीरिया मिलाएं।
- मिश्रण को मिट्टी में लगभग दो सप्ताह तक खुला रखें ताकि इसका अपघटन हो सके।
- बेड के बीच 2 फूट का अंतर और 3 फूट चौड़ाई के मेढ़ तैयार की जाती है।
लहसुन की खेती की बुवाई Garlic cultivation sowing:
- लहसुन की बुवाई डबलिंग विधि से की जाती है।
- इसे सिंचित क्षेत्र में अक्टूबर-नवंबर में बुवाई की जाती है।
- लहसुन की कलियों को 5-7 सेमी की गहराई में गाड़कर ऊपर से हल्की मिट्टी में ढक देना चाहिए।
- कलियों के पतले हिस्से को ऊपर रखना चाहिए।
नर्सरी की तैयारी Nursery preparation:
- आवश्यकता के अनुसार मिट्टी को हल या ट्रैक्टर द्वारा एक-दो बार पलट लें।
- 1 एकड़ भूमि में प्रत्यार्पण के लिए 3 मीटर लंबाई, 1 मीटर चौड़ाई और 15 सेमी ऊँचाई की 6 क्यारियाँ तैयार करनी चाहिए।
- बीज लगभग 2-5 से 3 सेमी की गहराई पर और 10 सेमी की दूरी पर लगाना उचित होता है।
- 25-30 दिन के भीतर रोपाई के लिए पौधा उपयुक्त हो जाता है।
खाद एवं उर्वरक Manure and Fertilizer:
- लहसुन के लिए 20-25 टन प्रति हेक्टेयर पकी गोबर या कम्पोस्ट या 5-8 टन वर्मी कम्पोस्ट, 100 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 50 कि.ग्रा. फास्फोरस एवं 50 कि.ग्रा. पोटाश की आवश्यकता होती है।
- गोबर की खाद, डी.ए.पी. एवं पोटाश की पूरी मात्रा, तथा यूरिया की आधी मात्रा खेत की अंतिम तैयारी के समय भूमि में मिला देनी चाहिए।
- एनपीके की आवश्यकता 40:20:20 किलो प्रति एकड़ की होती है।
लहसुन फसल चक्र Garlic crop rotation:
- लहसुन की रोपाई करते समय चक्रण का अभ्यास करना एक अच्छा विचार है। प्याज या प्याज परिवार का कोई सदस्य जहां पहले उगाया गया हो, वहां लहसुन न लगाएं। लहसुन को पूरी धूप में और अच्छी जल निकासी वाली क्यारी में, जिसमें कार्बनिक पदार्थ हों, रोपें।
जल प्रबंधन Water management:
- सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर विधि से हल्की सिंचाई करें।
- जब फसल पकने का समय हो, तब 12-15 दिन में सिंचाई करें।
- फसल वृद्धि के समय सप्ताह में एक बार सिंचाई अवश्य करें।
लहसुन फसल की कटाई Garlic harvest:
- जब पौधों की पत्तियाँ पीली होने लगे, तब फसल काटने के लिए तैयार होती है।
- लहसुन की फसल 130-150 दिन में कटाई के लिए तैयार होती है।
- पौधों को हाथों से उखाड़कर गुच्छे बनाएं और छांव में 10-15 दिन तक सुखाएं।
फसल चिकित्सा रोग निवारण crop disease prevention:
आर्द्र गलन रोग
- विवरण: यह रोग बारिश के समय अधिक तीव्रता से फैलता है।
- लक्षण: बीज भूमि से निकलने से पहले ही सड़ जाते हैं।
- निवारण: फसल चक्र अपनाएं और नमी युक्त भूमि से बचें।
मृदुल रोमिल आसिता रोग soft hairy ascites disease:
- विवरण: अधिक नमी से बढ़ता है।
- लक्षण: पत्तियाँ पीले गहरे भूरे रंग की हो जाती हैं।
- निवारण: अनुकूल फसल चक्र का प्रयोग करें।
बैगनी धब्बा रोग
- विवरण: गर्म जलवायु और उच्च आर्द्रता में फैलता है।
- लक्षण: सफेद धब्बे के साथ बैगनी रंग के छल्ले दिखाई देते हैं।
- निवारण: समय-समय पर जल निकासी करें।
स्टेमफाइलियम झुलसा रोग Stemphylium blight:
- विवरण: गर्म और आर्द्र मौसम से उत्पन्न होता है।
- लक्षण: पत्तियों में पीले एवं नारंगी धारियां होती हैं।
- निवारण: फसल चक्र अपनाएं।
लाल मकड़ी रोग Red spider disease:
- विवरण: बसंत ऋतु व गर्म सूखे मौसम में फैलता है।
- लक्षण: पौधों की पत्तियाँ मुरझा जाती हैं।
- निवारण: सिंचाई के समय ध्यान दें।
थ्रिप्स रोग Thrips disease:
- विवरण: ठंड के मौसम में अधिक पनपता है।
- लक्षण: पौधों की पत्तियों में सफेद से चांदी की परत दिखाई देती है।
- निवारण: फसल चक्र अपनाएं और अच्छे बीजों का चयन करें।
सुंडी रोग
- विवरण: ठंड के मौसम में फैलता है।
- लक्षण: पौधा मुरझाकर मर जाता