खीरा का उद्गम भारत में माना जाता है और यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाई जाती है। खीरा मुख्य रूप से गर्मियों में खाया जाने वाला फल है, जिसका उपयोग सलाद और सब्जी के रूप में किया जाता है। इसके बीज से तेल भी निकाला जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। खीरा में लगभग 96% पानी होता है, जिससे यह गर्मियों में विशेष रूप से उपयोगी होता है।
खीरा गर्म जलवायु में अच्छी तरह से पनपता है। इसके लिए आदर्श तापमान 20°C से 30°C के बीच होता है। यह फसल ठंड के प्रति संवेदनशील होती है, इसलिए इसे पाले से बचाने की आवश्यकता होती है।
खीरा की खेती में सिंचाई की नियमित आवश्यकता होती है, खासकर सूखे और गर्म मौसम में। बुवाई से पहले एक सिंचाई की जानी चाहिए और बाद में हर 2-3 दिनों में या 4-5 दिनों में पानी देना चाहिए। सामान्यतः खीरा की फसल को 10-12 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
खीरा विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है, लेकिन सबसे अच्छा परिणाम जैविक सामग्री और उचित जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में मिलता है। इसके लिए आदर्श पीएच स्तर 6-7 के बीच होना चाहिए।
बुवाई sowing: खीरा की बुवाई का आदर्श समय फरवरी से मार्च के बीच होता है। बीज को 2-3 सेमी की गहराई पर 60 सेमी की दूरी और बेड की चौड़ाई 2.5 मीटर रखकर बोया जाता है।
खेत की तैयारी field preparation: मिट्टी को 3-4 बार जुताई करके भुरभुरी बना लें। जैविक खाद, जैसे गोबर की खाद का उपयोग करें। नर्सरी के लिए 2.5 मीटर चौड़े बेड तैयार करें और 60 सेमी की दूरी रखें।
फसल चक्र: खीरा की फसल सामान्यतः 45-60 दिनों में तैयार हो जाती है। कुछ किस्में 50 दिनों में पकती हैं, जबकि अन्य को 68 दिन तक लग सकते हैं।
जल प्रबंधन: गर्मी के मौसम में निरंतर सिंचाई आवश्यक होती है। बुवाई से पहले हल्की सिंचाई करें और उसके बाद पहले हर 2-3 दिन, और फिर हर 4-5 दिन में पानी दें।
खरपतवार प्रबंधन: खरपतवार को हाथ से निकालें या रासायनिक खरपतवारनाशी का उपयोग करें। 1.6 लीटर ग्लाइफोसेट को 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें, ध्यान दें कि यह मुख्य फसल पर न लगे।
कटाई: फसल बुवाई के 45-50 दिनों में तैयार हो जाती है। खीरे को उसके बीज कठोर होने से पहले ही तोड़ लेना चाहिए। प्रति मौसम में 10-12 बार कटाई की जा सकती है, और औसत उत्पादन 33-42 क्विंटल प्रति एकड़ होता है।
रोग और रोग निवारण Disease and disease prevention:
कीट नियंत्रण pest control: