जलवायु / तापमान: कपास की फसल को उगाने के लिए 20-30 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे उपयुक्त होता है। इस तापमान में कपास की फसल अच्छी तरह विकसित होती है।
जल की मांग Water demand:
कपास की फसल को 5-7 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है, विशेषकर फूल और फल निकलने के समय। सही जल प्रबंधन के लिए मिट्टी की नमी बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
मिट्टी Soil:
कपास की खेती के लिए ऐसी मिट्टी उपयुक्त है जिसकी पीएच दर 6-8 हो। गहरी, उपजाऊ और अच्छे निकास वाली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। रेतली, खारी या जल जमाव वाली ज़मीन कपास के लिए ठीक नहीं होती। मिट्टी की गहराई 20-25 सेंटीमीटर से कम नहीं होनी चाहिए।
प्रमुख किस्में Major varieties:
- RCH134Bt: यह कपास की सबसे उच्च पैदावार वाली बीटी किस्म है। इसकी औसत पैदावार 11.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, और यह सुंडी के प्रति रोधक है।
- RCH 317Bt: यह एक उच्च उपज वाली बीटी किस्म है, जो धब्बेदार सुंडी और अमेरिकन सुंडी के प्रति प्रतिरोधक है। यह किस्म 160-165 दिनों में तैयार हो जाती है। इसके टिंडे का वजन 3.8 ग्राम होता है और यह पूरी तरह खिलकर तैयार होता है। औसतन पैदावार 10.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, और पिंजाई के बाद 33.9% रूई प्राप्त होती है।
- MRC 6301Bt: यह भी कपास की एक उच्च उपज वाली बीटी किस्म है, जो धब्बेदार सुंडी और अमेरिकन सुंडी से सुरक्षित रहती है। यह 160-165 दिनों में पकती है। टिंडे का वजन 4.3 ग्राम होता है, और इसकी औसतन पैदावार 10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। पिंजाई के बाद इससे 34.7% रूई मिलती है।
- MRC 6304BT: यह एक और उच्च उपज वाली बीटी किस्म है, जो धब्बेदार सुंडी और अमेरिकन सुंडी से प्रतिरोधी है। 160-165 दिनों में यह फसल पककर तैयार हो जाती है, और इसके टिंडे का वजन 3.9 ग्राम होता है। औसतन पैदावार 10.1 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, और पिंजाई के बाद 35.2% रूई मिलती है।
- Ankur 651: यह किस्म तेले और पत्ता मरोड़ रोग के प्रति प्रतिरोधी है। पौधे की ऊंचाई औसतन 97 सैं.मी. होती है। यह 170 दिनों में तैयार हो जाती है और नर्मा गेहूं के फसली चक्र के अनुकूल है।
- Whitegold: यह एक हाइब्रिड किस्म है, जो पत्ता मरोड़ रोग के प्रति प्रतिरोधी है। इसके पत्ते गहरे हरे, चौड़े और उंगलियों के आकार के होते हैं। पौधे की ऊंचाई 125 सैं.मी. होती है। यह 180 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, और औसतन पैदावार 6.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। पिंजाई के बाद इससे 30% रूई प्राप्त होती है।
- LHH 144: यह भी एक हाइब्रिड किस्म है, जो पत्ता मरोड़ रोग से सुरक्षित रहती है। इसके पत्ते भिंडी के पत्तों की तरह होते हैं और टिंडे का औसत वजन 5.5 ग्राम होता है। यह किस्म 180 दिनों में पककर तैयार होती है, और कपास-गेहूं के फसली चक्र के अनुकूल होती है। औसतन पैदावार 7.6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, और पिंजाई के बाद 33% रूई प्राप्त होती है।
- F1861: यह किस्म पत्ता मरोड़ रोग को सहन करने वाली होती है। पौधे की ऊंचाई 135 सैं.मी. होती है। यह 180 दिनों में तैयार हो जाती है, और औसतन पैदावार 6.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। पिंजाई के बाद इससे 33.5% रूई प्राप्त होती है।
- F1378: यह किस्म अत्यधिक उपज देने वाली मानी जाती है। पौधे की ऊंचाई 150 सैं.मी. होती है और टिंडे बड़े व गोल होते हैं। यह किस्म 180 दिनों में तैयार होती है, औसतन पैदावार 10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, और पिंजाई के बाद 35.5% रूई प्राप्त होती है।
- F846: यह एक मध्यवर्ती घनी किस्म है, जिसकी पौध ऊंचाई लगभग 134 सैं.मी. होती है। यह किस्म 180 दिनों में तैयार हो जाती है, औसत पैदावार 11 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, और पिंजाई के बाद 35.3% रूई प्राप्त होती है।
- LHH 1556: यह कम समय में पकने वाली किस्म है। पौधे की ऊंचाई लगभग 140 सैं.मी. होती है, और इसके पत्ते हल्के हरे रंग के होते हैं। टिंडे गोल आकार के होते हैं। यह 165 दिनों में तैयार हो जाती है और औसतन पैदावार 8.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।
- Moti: यह एक सूखा प्रतिरोधी हाइब्रिड किस्म है, जिसके पौधे की ऊंचाई लगभग 164 सैं.मी. होती है। इसके पत्ते तंग होते हैं और फूल सफेद रंग के होते हैं। टिंडे बड़े होते हैं और यह किस्म 165 दिनों में तैयार हो जाती है। औसतन पैदावार 8.45 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, और पिंजाई के बाद 38.6% रूई मिलती है।
- LD 694: यह एक देसी कपास किस्म है, जिसके पत्ते तंग और फूल गुलाबी रंग के होते हैं। टिंडे बड़े होते हैं। यह 170 दिनों में तैयार होती है, और औसत पैदावार 7 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। पिंजाई के बाद इससे 40.9% रूई प्राप्त होती है। यह किस्म सूखा प्रतिरोधी और तेले की रोधक होती है।
- LD 327: यह उच्च उपज देने वाली किस्म है, जिसके पौधे लाल-भूरे रंग के होते हैं, और पत्ते तंग होते हैं। फूल गुलाबी होते हैं और टिंडे बड़े होते हैं। यह 175 दिनों में तैयार होती है, और औसत पैदावार 11.5 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। पिंजाई के बाद 41.9% रूई मिलती है।
देसी किस्में Desi varieties:
- LD 1019: यह किस्म पत्तों के झुलस रोग के प्रति प्रतिरोधी है, और औसतन पैदावार 8.6 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। इसे 2-3 चुनाइयों की आवश्यकता होती है। रेशे की लंबाई 22.6 मिमी होती है और इससे 35.77% रूई प्राप्त होती है।
- FMDH 9: इस किस्म के पौधे हरे होते हैं, पत्ते तंग और उंगलियों के आकार के होते हैं। फूल सफेद होते हैं, और टिंडे दरमियाने आकार के होते हैं। यह किस्म 160 दिनों में तैयार हो जाती है, और तेले व सफेद मक्खी की रोधक है। औसतन पैदावार 10 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, और पिंजाई के बाद 37.3% रूई प्राप्त होती है, जबकि रेशे की लंबाई 23.4 मिमी होती है।
- FDK 124: यह अधिक पैदावार वाली और जल्दी पकने वाली फसल है। पत्ते हरे, तंग और उंगलियों के आकार के होते हैं। यह किस्म 160 दिनों में तैयार होती है, और तेले व सफेद मक्खी की रोधक होती है। औसतन पैदावार 9.3 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, और पिंजाई के बाद 36.4% रूई प्राप्त होती है, जबकि रेशे की लंबाई 21 मिमी होती है।
फसल की बिजाई crop sowing:
- बिजाई का समय: अप्रैल महीने में बिजाई का उचित समय होता है।
- फासला: अमेरिकन कपास के लिए सिंचित स्थिति में 75x15 सेंटीमीटर और देसी कपास के लिए 60x30 सेंटीमीटर का फासला रखें।
- बीज की गहराई: बीजों को 5 सेंटीमीटर की ग