कृषि दुनिया में आपका स्वागत है।

जलवायु / तापमान: जलवायु और तापमान जौ की खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसकी वृद्धि के लिए ठंडा मौसम अनुकूल है।

जल की मांग: जौ की फसल के लिए पानी की आवश्यकताएँ हैं, विशेषकर बुवाई के समय और फसल की बढ़ोतरी के दौरान।

मिट्टी Soil: उर्वर और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी जौ की खेती के लिए उपयुक्त है।

प्रमुख किस्में Major varieties:

  • ज्योति (क.572/10) - सिंचित दशा में उपयुक्त
  • आजाद (के-125) - असिंचित भूमि के लिए
  • के-141 - चारा और दाना के लिए उपयुक्त
  • हरितमा (के-560) - सभी रोगों के लिए अवरोधी
  • प्रीती (के-409) - प्रमुख बीमारियों के प्रति अवरोधी

फसलों की बुवाई: जौ की फसल की बुवाई का समय विभिन्न परिस्थितियों पर निर्भर करता है:

  • असिंचित: 20 अक्टूबर से 10 नवंबर तक
  • सिंचित: 25 नवंबर तक
  • विलंब से: दिसंबर के दूसरे पखवाड़े तक

बोने का उपयुक्त समय: जौ की बुवाई का उपयुक्त समय फसल की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।

खेत की तैयारी: खेत की तैयारी के लिए 2-3 जुताइयों के साथ देशी हल या डिस्क हैरो का प्रयोग करें।

फसल चक्र: फसल चक्र का पालन करते हुए जौ की फसल को फसल की अन्य किस्मों के साथ बदलकर उगाना चाहिए।

जल प्रबंधन: सिंचाई का उचित प्रबंधन आवश्यक है, जिसमें दो सिंचाइयों का उपयोग किया जा सकता है।

खरपतवार प्रबंधन: खरपतवारों का नियंत्रण आवश्यक है। प्रमुख खरपतवार जैसे गेहुंसा, जंगली जई का नियंत्रण करें।

कटाई: कटाई का कार्य सुबह या शाम के समय करें, जब बालियाँ पूरी तरह पक जाएँ।

रोग एवं रोग रोकथाम: प्रमुख रोगों का नियंत्रण जैसे आवृत कण्डुआ, पत्ती का धारीदार रोग, एवं अनावृत कण्डुआ के लिए बीज उपचार आवश्यक है।