जलवायु / तापमान: जलवायु और तापमान जौ की खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसकी वृद्धि के लिए ठंडा मौसम अनुकूल है।
जल की मांग: जौ की फसल के लिए पानी की आवश्यकताएँ हैं, विशेषकर बुवाई के समय और फसल की बढ़ोतरी के दौरान।
मिट्टी Soil: उर्वर और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी जौ की खेती के लिए उपयुक्त है।
फसलों की बुवाई: जौ की फसल की बुवाई का समय विभिन्न परिस्थितियों पर निर्भर करता है:
बोने का उपयुक्त समय: जौ की बुवाई का उपयुक्त समय फसल की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
खेत की तैयारी: खेत की तैयारी के लिए 2-3 जुताइयों के साथ देशी हल या डिस्क हैरो का प्रयोग करें।
फसल चक्र: फसल चक्र का पालन करते हुए जौ की फसल को फसल की अन्य किस्मों के साथ बदलकर उगाना चाहिए।
जल प्रबंधन: सिंचाई का उचित प्रबंधन आवश्यक है, जिसमें दो सिंचाइयों का उपयोग किया जा सकता है।
खरपतवार प्रबंधन: खरपतवारों का नियंत्रण आवश्यक है। प्रमुख खरपतवार जैसे गेहुंसा, जंगली जई का नियंत्रण करें।
कटाई: कटाई का कार्य सुबह या शाम के समय करें, जब बालियाँ पूरी तरह पक जाएँ।
रोग एवं रोग रोकथाम: प्रमुख रोगों का नियंत्रण जैसे आवृत कण्डुआ, पत्ती का धारीदार रोग, एवं अनावृत कण्डुआ के लिए बीज उपचार आवश्यक है।