गाजर (Daucus carota) एक वार्षिक या द्विवार्षिक फसल है जो Apiaceae परिवार से संबंधित है। यह अपनी जीवन चक्र को एक से दो वर्षों में पूरा करती है। यह विटामिन A का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और भारत में प्रमुख सब्जी फसलों में से एक है। भारत के प्रमुख गाजर उगाने वाले राज्य हैं हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और उत्तर प्रदेश।
आदर्श तापमान सीमा: 7-23°C
वृष्टि: 75-100 सेमी
बोने का तापमान: 18-23°C
कटाई का तापमान: 20-25°C
गाजर की वृद्धि के लिए उचित जल प्रबंधन आवश्यक है। सिंचाई मिट्टी के प्रकार और जलवायु की स्थिति के आधार पर निर्धारित की जानी चाहिए, सामान्यतः वृद्धि चक्र के दौरान तीन से चार बार सिंचाई की आवश्यकता होती है।
मिट्टी Soil: गाजर गहरी, मुलायम और चिकनी मिट्टियों में अच्छी तरह से उगती है। भारी या अत्यधिक ढीली मिट्टियाँ गाजर की खेती के लिए उपयुक्त नहीं होतीं। मिट्टी का pH 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए, जिसमें 6.5 का pH उच्च उपज के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है।
PC 34: इस किस्म की जड़ें लाल होती हैं और पत्ते गहरे हरे होते हैं। इसकी जड़ की लंबाई 25 सेमी और व्यास 3.15 सेमी होता है, जिसमें कुल घुलनशील ठोस (TSS) सामग्री 8.8% होती है। इसे बोने के 90 दिन बाद काटा जा सकता है, जिससे लगभग 204 क्विंटल प्रति एकड़ उपज होती है।
पंजाब ब्लैक ब्यूटी: यह किस्म बैंगनी-काली जड़ों और गहरे हरे पत्तों के लिए जानी जाती है। इसमें एंथोसायनिन और फिनोल होते हैं जो कैंसर की रोकथाम में सहायक हो सकते हैं। इसकी TSS सामग्री 7.5% है और इसे 93 दिनों में काटा जा सकता है, जिससे लगभग 196 क्विंटल प्रति एकड़ उपज होती है। इस किस्म की ताजा गाजर अक्सर सलाद, जूस और अचार में इस्तेमाल होती है।
पंजाब गाजर रेड: यह किस्म लगभग 230 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देती है।
फसलों की बोई sowing of crops:
क्षेत्र की तैयारी: खेत को अच्छे से जुताई करनी चाहिए और घास और पत्थरों से मुक्त होना चाहिए। मिट्टी में 10 टन अच्छी तरह से सड़ाया गया कार्बनिक पदार्थ मिलाएं। ताजे गोबर और खराब सड़े हुए खाद से बचें क्योंकि ये जड़ों को नरम कर सकते हैं।
बोने का उपयुक्त समय:
क्षेत्र की तैयारी:
स्पेसिंग: पंक्तियों के बीच 45 सेमी और पौधों के बीच 7.5 सेमी की दूरी बनाए रखें।
बीज की गहराई: आदर्श बीज की गहराई 1.5 सेमी है।
बोने की तकनीक: बीजों को खोदने और हाथ से छिड़कने की विधि का उपयोग करके बोया जाता है।
बीज उपचार: बीजों को बोने से पहले 12-24 घंटे के लिए पानी में भिगोएँ ताकि अंकुरण में वृद्धि हो सके।
उर्वरक: बोने के समय प्रति एकड़ निम्नलिखित उर्वरक लगाएं:
घास प्रबंधन: घासों को मैन्युअल रूप से हटाना चाहिए ताकि मिट्टी में वायु संचार बना रहे और पोषक तत्वों के लिए प्रतिस्पर्धा से बचा जा सके।
जल प्रबंधन: बोने के तुरंत बाद सिंचाई शुरू की जानी चाहिए ताकि अंकुरण में सहायता मिल सके। बाद की सिंचाई मिट्टी के प्रकार और जलवायु पर निर्भर करती है, आमतौर पर गर्मियों में हर 6-7 दिन और सर्दियों में हर 10-12 दिन की आवश्यकता होती है। जड़ों सड़ने से बचाने के लिए अधिक सिंचाई से बचें और कटाई से 2-3 सप्ताह पहले सिंचाई रोक दें ताकि गाजरों की मिठास और स्वाद बढ़ सके।
कीट और रोग प्रबंधन:
नैमेटोड: बोने के समय 0.5 टन नीम की खली का उपयोग करें ताकि नैमेटोड के संक्रमण को नियंत्रित किया जा सके।
पत्तियों के धब्बे: यदि देखा जाए तो रोग से लड़ने के लिए 2 ग्राम मैन्कोज़ेब प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।
कटाई: गाजर को बोने के 90-100 दिन बाद, किस्म के आधार पर काटा जाता है। कटाई पौधों को मिट्टी से खींचकर की जाती है, जिसमें जड़ों को शामिल करना सुनिश्चित करें। कटाई के बाद, हरी पत्तियाँ हटा दें और गाजरों को अच्छी तरह से धो लें।