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जलवायु / तापमान:

  • आलू की फसल के लिए मध्यम शीतोष्ण जलवायु उपयुक्त होती है। दिन का तापमान 35°C से अधिक और रात का तापमान 21°C से अधिक नहीं होना चाहिए।
  • फसल की वृद्धि के लिए 15-25°C का तापमान सबसे अच्छा होता है। कंद बनने के समय 18-20°C तापमान सर्वोत्तम है।
  • 30°C से अधिक तापमान होने पर आलू की फसल में कंद बनना बंद हो जाता है।

जल की मांग Water demand:

  • आलू की अधिक पैदावार के लिए 120-150 दिन की फसल में 500-700 मिमी पानी की आवश्यकता होती है।
  • सिंचाई की आवश्यकता सर्दियों में सप्ताह में दो बार होती है, जबकि सूखे में अधिक सिंचाई आवश्यक होती है।
  • सिंचाई के चरण:
    1. पहली सिंचाई: बुवाई के 10-12 दिन बाद।
    2. दूसरी सिंचाई: 20-22 दिन बाद।
    3. तीसरी सिंचाई: कंद बनने की शुरुआत के दौरान।
    4. अंतिम सिंचाई: फसल खुदाई के 10 दिन पहले बंद कर दें।

मिट्टी (Soil):

  • आलू की खेती के लिए भुरभुरी और चिकनी मिट्टी उपयुक्त होती है। खेत की तैयारी फसल बुवाई से 2-3 महीने पहले शुरू करें।
  • मिट्टी का पी.एच. 5.0-6.0 के बीच होना चाहिए, आलू 4.5-8.0 पी.एच. तक सहन कर सकता है, लेकिन 7 से अधिक पी.एच. में उपज कम होती है।

प्रमुख किस्में (Varieties)

  • कुफरी ज्योति: 80-150 दिन में तैयार, प्रति हेक्टेयर 150-250 क्विंटल उपज।
  • कुफरी गंगा: 75-80 दिन में तैयार, प्रति हेक्टेयर 250-300 क्विंटल।
  • कुफरी अलंकार: 70 दिन में तैयार, प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल।
  • अन्य किस्में: कुफरी स्वर्ण, कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी नीलकंठ, कुफरी बहार, कुफरी सिंदूरी, कुफरी देवा।

बुवाई का समय Time of sowing:

  • अगेती फसल: 15 सितंबर के आस-पास।
  • मुख्य फसल: 15-25 अक्टूबर।
  • बुवाई में कंद और लाइन की दूरी आकार के अनुसार रखें।

खेत की तैयारी Field preparation:

  • 2-3 जुताई के बाद, खेत में सिंचाई करें और पाटा लगाकर खेत को समतल और भुरभुरा बनाएं।

फसल चक्र Crop rotation:

  • आलू के बाद टमाटर जैसी फसलों का रोटेशन उपयोगी है, जिससे मिट्टी की उर्वरकता बनी रहती है।

जल प्रबंधन Water management:

  • टपकन सिंचाई, छिड़काव और रेन गन जैसे सिंचाई प्रणालियों का उपयोग करें। पौधों की प्रारंभिक अवस्था में पानी की कम आवश्यकता होती है। आलू के लिए 7-10 सिंचाई आवश्यक होती है।

खरपतवार प्रबंधन Weed management:

  • 20-25 दिन बाद, पौधे 8-10 सेमी. ऊंचाई के हो जाने पर खरपतवार निकालें।
  • रासायनिक नियंत्रण के लिए पेंडामेथलिन का छिड़काव बुवाई के 1-2 दिन बाद करें।

खुदाई digging:

  • अगेती फसल की खुदाई 60-70 दिन बाद करें। तापमान 20-30°C तक होने से पहले खुदाई करें।

उपज:

  • संकर किस्में सामान्य किस्मों से अधिक उपज देती हैं। संकर किस्मों से प्रति हेक्टेयर 600-800 क्विंटल, जबकि सामान्य किस्मों से 350-400 क्विंटल तक उपज मिलती है।

रोग और रोग निवारण Disease and disease prevention:

  1. पिछेती झुलसा (Late Blight): आलू की पत्तियों पर सफेद धब्बे बनते हैं जो बाद में भूरे और काले हो जाते हैं। रोकथाम: सिंचाई बंद करें और नर्सरी का स्थान बदलें।
  2. अगेती झुलसा (Early Blight): पत्तियों पर छोटे भूरे धब्बे दिखते हैं। रोकथाम: रोगग्रस्त पौधों को जला दें और मेन्कोजेब से कंदों को उपचारित करें।
  3. ब्लैक स्कर्फ: कंदों पर काले धब्बे दिखते हैं। रोकथाम: गहरी जुताई करें और प्रमाणित बीजों का उपयोग करें।