DAP की समस्या से जूझ रहे किसान, जानिए इस रिपोर्ट में समाधान का पूरा विवरण
14 Dec, 2024 12:00 AM IST Updated Sat, 14 Dec 2024 04:48 PM
भारत में DAP (डायमोनियम फॉस्फेट) उर्वरक की भारी कमी ने किसानों के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में, जहां रबी फसलों के लिए DAP की मांग सबसे अधिक होती है, यह संकट चिंताजनक है। यह उर्वरक कृषि उत्पादन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। आइए, इस लेख में DAP की कमी के कारण, इसके प्रभाव और संभावित समाधान को विस्तार से सम
DAP की कमी के मुख्य कारण Main reasons for DAP deficiency:
आयात पर निर्भरता और आपूर्ति की बाधा: भारत अपनी DAP की आवश्यकता का बड़ा हिस्सा आयात करता है। प्रमुख आयातक देशों जैसे चीन, सऊदी अरब और मोरक्को से भारत की निर्भरता अधिक है। लेकिन हालिया कारणों से यह आपूर्ति प्रभावित हुई है:
चीन से आयात में गिरावट: चीन ने भारत को DAP निर्यात में 75% की कटौती की है। यह कटौती चीन में बढ़ती घरेलू मांग और निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण हुई है।
वैश्विक शिपिंग में समस्याएं: इज़राइल और हमास के युद्ध के चलते रेड सी जैसे महत्वपूर्ण शिपिंग रूट्स प्रभावित हुए हैं। इससे भारत को DAP लाने में कठिनाई हुई और इसकी कीमतों में भी भारी वृद्धि हुई है।
घरेलू उत्पादन में कमी: भारत में DAP का घरेलू उत्पादन पर्याप्त नहीं है।
2024 के आंकड़े: पहले छह महीनों में घरेलू उत्पादन केवल 25.03 लाख टन था, जबकि 2023 में यह 27.01 लाख टन था।
आयात में कमी: आयात में भी कमी आई है, जिससे बाजार में DAP का स्टॉक सीमित हो गया है।
बढ़ती कीमतें: DAP की अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ गई हैं।
मई 2024 में इसकी कीमत $515 प्रति टन थी, जो अक्टूबर 2024 तक $642 प्रति टन तक पहुंच गई।
यह वृद्धि किसानों के लिए वित्तीय दबाव बढ़ा रही है।
DAP की कमी का किसानों पर प्रभाव Impact of DAP shortage on farmers:
आर्थिक दबाव: DAP की बढ़ती कीमतों ने किसानों को आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया है।
पंजाब और हरियाणा के किसान उर्वरक खरीदने के लिए लंबी कतारों में खड़े होते हैं, लेकिन अक्सर स्टॉक खत्म हो चुका होता है।
अधिक कीमत चुकाने के कारण किसानों को अपनी जरूरतों में कटौती करनी पड़ती है।
फसलों की पैदावार पर असर DAP की कमी का सीधा असर फसलों की पैदावार पर पड़ता है।
रबी फसलों, जैसे गेहूं और सरसों, की बुवाई के लिए DAP बेहद जरूरी है।
अगर फसल उत्पादन कम होता है, तो इसका असर देश की खाद्य सुरक्षा पर भी पड़ेगा।
DAP संकट से निपटने के लिए सरकारी प्रयास Government efforts to deal with DAP crisis:
दीर्घकालिक आपूर्ति समझौते: सरकार ने DAP की सतत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आपूर्तिकर्ताओं के साथ दीर्घकालिक समझौते किए हैं।
सब्सिडी में वृद्धि: DAP पर 3,500 रुपये प्रति टन की विशेष सब्सिडी प्रदान की जा रही है, ताकि किसानों को राहत मिल सके।
वैकल्पिक उर्वरकों का प्रोत्साहन: DAP की कमी को देखते हुए सरकार वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। हालांकि, ये उर्वरक महंगे और अपेक्षाकृत कम प्रभावी हो सकते हैं।
DAP संकट का दीर्घकालिक समाधान Long term solution to DAP crisis:
घरेलू उत्पादन को बढ़ावा: भारत को अपने DAP उत्पादन को बढ़ाने के लिए कारगर कदम उठाने होंगे।
यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता के बाद, DAP के लिए भी नए संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं।
लक्ष्य: 2026 तक आयात पर निर्भरता में 15% की कमी लाना।
वैकल्पिक उर्वरकों का इस्तेमाल: किसानों को वैकल्पिक उर्वरकों, जैसे जैविक खाद और अन्य रासायनिक उर्वरकों, का उपयोग बढ़ाना चाहिए। इसके अलावा, सरकार को नए और प्रभावी उर्वरकों के अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान देना होगा।
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में सुधार: भारत को अपनी आयात नीतियों और शिपिंग व्यवस्था में सुधार करना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचा जा सके।
निष्कर्ष भारत में DAP संकट ने किसानों के लिए गंभीर समस्याएं खड़ी कर दी हैं। यह जरूरी है कि सरकार और किसान दोनों मिलकर इस स्थिति से निपटने के प्रयास करें। दीर्घकालिक समाधान के लिए घरेलू उत्पादन बढ़ाना, वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में सुधार आवश्यक है। इससे न केवल वर्तमान संकट से निपटा जा सकेगा, बल्कि कृषि क्षेत्र की स्थिरता भी सुनिश्चित होगी।