राज्य सरकार ने विधानसभा में 17 मुद्दों पर की चर्चा, चुनावी वादों को पूरा करने का लिया संकल्प हाल ही में, शीतकालीन सत्र में हरियाणा विधानसभा ने 17 महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की, जिसमें राज्य सरकार ने अपने चुनावी वादों को पूरा करने का संकल्प लिया। इस सत्र के दौरान, एक अहम विधेयक पारित किया गया, जो पट्टे पर खेती करने वाले किसानों के लिए राहत लेकर आया है।
राज्य सरकार ने ग्राम शामलात भूमि विनियमन संशोधन विधेयक-2024 पारित किया है, जो प्रदेश के किसानों और ग्रामीणों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इस विधेयक के तहत अब किसानों को 20 साल पुराने भूमि विवादों को हल करने का अवसर मिलेगा, जिससे कृषि क्षेत्र में स्थिरता आएगी और किसानों के अधिकार सुरक्षित होंगे।
विधेयक के अनुसार, जिन किसानों ने शामलात भूमि पर घर बनाया है और 20 साल से इस पर निवास कर रहे हैं, उन्हें इस भूमि का मालिकाना हक मिलेगा। लेकिन यह हक केवल 500 वर्ग गज तक के घरों के लिए वैध होगा। वहीं, जो किसान सरकार से पट्टे पर जमीन लेकर खेती कर रहे हैं और 20 साल से उस पर खेती कर रहे हैं, उन्हें भी उनकी जमीन का मालिकाना हक मिल सकेगा।
मालिकाना हक पाने के लिए किसानों को उस भूमि की कीमत का भुगतान करना होगा, जो वर्तमान बाजार दर के आधार पर निर्धारित की जाएगी। यह भुगतान ग्राम पंचायत को किया जाएगा, और इसके बाद भूमि को किसानों के नाम किया जाएगा। यह भुगतान केवल उन मामलों के लिए होगा जिनमें 31 मार्च 2024 तक की स्थिति है।
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मुआवजे की नई व्यवस्था: इसके अलावा, विधेयक में एक और महत्वपूर्ण प्रावधान किया गया है कि अब प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान के मामले में पट्टे पर खेती कर रहे किसानों को भी मुआवजा मिलेगा। पहले, ऐसे किसानों को मुआवजा नहीं मिलता था, क्योंकि मुआवजा भूमि के वास्तविक मालिक को दिया जाता था। अब इन किसानों को भी राहत मिलेगी।
खेतों से गुजरने वाली बिजली लाइन पर मुआवजा: हरियाणा सरकार ने किसानों को और एक राहत देते हुए घोषणा की है कि जिनके खेतों से हाईटेंशन बिजली की लाइन गुजरती है, उन्हें भी मुआवजा मिलेगा। इसके तहत किसानों को टावर क्षेत्र की भूमि के लिए बाजार दर से दो गुना मुआवजा दिया जाएगा। यह मुआवजा सिर्फ उस भूमि के लिए होगा जो बिजली लाइन के टावर के नीचे स्थित होगी।
शामलात देह भूमि का विवाद और समाधान: शामलात देह भूमि सरकारी रिकॉर्ड में एक विशेष प्रकार की भूमि होती है, जो सामूहिक कार्यों के लिए सरकारी या निजी स्वामित्व से बाहर रखी जाती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, इस भूमि को अब पंचायती भूमि माना जाएगा। हरियाणा में ऐसी भूमि पर किसानों के कई विवाद हैं, और सरकार ने इन विवादों का समाधान निकालने के लिए विधेयक पेश किया है, ताकि किसानों को कानूनी रूप से उनके अधिकार मिल सकें।
इस कदम से राज्य सरकार ने किसानों की मुश्किलों को समझते हुए उनकी जमीन से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया है और कृषि क्षेत्र को स्थिरता देने की दिशा में अहम कदम उठाया है।
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