Gram cultivation: चने की खेती करने वाले किसान इन बातों पर ध्यान दें, नहीं तो आपकी मेहनत बेकार हो जाएगी

Gram cultivation: चने की खेती करने वाले किसान इन बातों पर ध्यान दें, नहीं तो आपकी मेहनत बेकार हो जाएगी

चने की खेती

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कृषि दुनिया
  • 27 Dec, 2024 11:30 AM IST ,
  • Updated Fri, 27 Dec 2024 12:30 PM

चने की खेती भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण और लाभदायक फसल है। यह न केवल पोषण से भरपूर होती है, बल्कि इसका बाजार मूल्य भी अच्छा रहता है। लेकिन चने की फसल को सफलतापूर्वक उगाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। अगर इन बातों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो फसल खराब हो सकती है और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। आइए जानते हैं, चने की खेती से संबंधित उन खास बातों के बारे में, जो आपकी फसल को लहलहाने में मदद करेंगी।

चने की फसल में सिंचाई का सही प्रबंधन:

पहली सिंचाई का समय: चने की फसल को बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। इसे सही समय पर सीमित सिंचाई की जरूरत होती है। पहली सिंचाई चने की बुवाई के 30 से 45 दिनों के भीतर करनी चाहिए। इस समय फसल की ग्रोथ तेजी से होती है और पत्तियां साग के रूप में उपयोग के लिए तैयार हो जाती हैं। यदि सही समय पर सिंचाई की जाती है, तो पौधों में फूल बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।

दूसरी सिंचाई का समय: दूसरी सिंचाई का समय चने की फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसे बुवाई के लगभग 70-75 दिनों बाद करना चाहिए। हालांकि ठंडी ओस से चने की फसल काफी हद तक तैयार हो जाती है, लेकिन अतिरिक्त पानी पौधों की बेहतर वृद्धि और पैदावार सुनिश्चित करता है। सही समय पर सिंचाई न करने से फसल कमजोर हो सकती है।

सिंचाई का महत्व और फसल पर प्रभाव Importance of irrigation and effect on crop:

सिंचाई का सही समय: चने की फसल में सही समय पर सिंचाई करना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यदि सिंचाई में देरी होती है या इसे अनदेखा किया जाता है, तो पौधों की ग्रोथ प्रभावित होती है और फसल की गुणवत्ता भी खराब हो सकती है। इसलिए, किसानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सिंचाई का सही समय और मात्रा जानें और उसका पालन करें।

पैदावार में सुधार: सही समय पर और सही मात्रा में सिंचाई करने से फसल की पैदावार बढ़ती है। स्वस्थ पौधों में रोग और कीटों का प्रभाव कम होता है, जिससे किसान अच्छी गुणवत्ता और अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। यह न केवल फसल को लहलहाने में मदद करता है, बल्कि किसानों के मुनाफे को भी बढ़ाता है।

चने की खेती के अन्य महत्वपूर्ण टिप्स:

भूमि की तैयारी और बीज का चयन: चने की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। फसल से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई और समतलीकरण करें। उन्नत किस्म के बीजों का चयन करें, जो कम पानी में भी अधिक पैदावार दे सकें।

खाद और उर्वरकों का सही उपयोग: चने की फसल के लिए जैविक खाद का उपयोग फायदेमंद होता है। नाइट्रोजन और फॉस्फोरस युक्त उर्वरकों का सही अनुपात में प्रयोग करें। इससे पौधों की जड़ों की वृद्धि होती है और फूल-फल बनने की प्रक्रिया तेज होती है।

रोग और कीट नियंत्रण: चने की फसल में कीटों और रोगों का प्रकोप आम समस्या है। इसके लिए समय-समय पर फसल का निरीक्षण करें और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें। पौधों को समय पर स्प्रे करने से फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है।

निष्कर्ष: चने की खेती में सफलता प्राप्त करने के लिए सही समय पर सिंचाई, उचित खाद प्रबंधन और उन्नत तकनीकों का उपयोग करना जरूरी है। इन बातों का ध्यान रखते हुए किसान अपनी फसल से बेहतर पैदावार और अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। सही जानकारी और मेहनत से चने की खेती न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद होती है, बल्कि यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में भी सहायक होती है।

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