चने की खेती किसानों के लिए एक फायदेमंद सौदा साबित हो रही है, लेकिन इस समय कई कीट और बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर चने के खेत में चिड़ियों की आवाजाही बढ़ जाए, तो यह संकेत है कि फली छेदक कीट का प्रकोप होने वाला है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि फली छेदक और कटवा सुंडी जैसे हानिकारक कीटों से कैसे बचा जा सकता है।
फली छेदक कीट चने की फसल के लिए सबसे खतरनाक कीटों में से एक है। इस कीट की गिडारें पहले हल्के हरे रंग की होती हैं, लेकिन बाद में उनका रंग भूरा हो जाता है। ये कीट फलियों में छेद कर अंदर के दानों को नष्ट कर देते हैं, जिससे पैदावार पर भारी असर पड़ता है।
1. रासायनिक उपाय:
2. जैविक उपाय:
कटवा सुंडी से बचाव के तरीके:
कटवा सुंडी चने के उगते हुए पौधों की तनों और शाखाओं को काटकर नुकसान पहुंचाती है। इससे बचाव के लिए निम्न उपाय अपनाएं:
1. रासायनिक उपाय:
2. जैविक उपाय:
चने की खेती क्यों है फायदे का सौदा?
वर्तमान में दलहन फसलों के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं, क्योंकि उत्पादन मांग की तुलना में कम हो रहा है। इस साल अब तक लगभग 99 लाख हेक्टेयर में चने की खेती हो चुकी है, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद है। लेकिन कीटों और रोगों से बचाव के लिए समय पर उचित उपाय करना जरूरी है।
अगर चने के खेत में चिड़ियों की संख्या बढ़ रही है, तो यह फली छेदक कीट के आने का संकेत हो सकता है। ऐसे में तुरंत उचित बचाव के उपाय अपनाएं। जैविक और रासायनिक नियंत्रण दोनों ही कारगर हो सकते हैं, लेकिन कीटनाशकों का सही समय पर उपयोग करना बहुत जरूरी है। चने की खेती को सफल बनाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें और अपनी फसल को सुरक्षित रखें।