केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को राहत देते हुए एक अहम घोषणा की है। हाल ही में राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार किसानों की सभी कृषि उपज को MSP पर खरीदेगी और फसल लागत पर 50% अधिक मूल्य देने की नीति जारी रखेगी। यह बयान ऐसे समय में आया है जब किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।
राज्यसभा में बोलते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा:
"हमारी सरकार किसानों की हर उपज को MSP पर खरीदेगी। यह हमारी गारंटी है।"
उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को नजरअंदाज किया था, जिसमें फसल लागत से 50% अधिक मूल्य देने की बात कही गई थी।
कृषि मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 से किसानों को उत्पादन लागत पर 50% अधिक मूल्य देने की नीति लागू की है। इस नीति के तहत धान, गेहूं, सोयाबीन और ज्वार जैसी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है। साथ ही, सरकार ने निर्यात शुल्क और वस्तुओं की कीमतों में हस्तक्षेप कर किसानों को लाभ पहुंचाने के प्रयास किए हैं।
कर्ज माफी की बजाय दीर्घकालिक समाधान:
कर्ज माफी के मुद्दे पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मोदी सरकार का ध्यान कर्ज माफी के बजाय दीर्घकालिक समाधान पर है। सरकार की प्राथमिकता है:
प्रमुख योजनाएं:
रबी फसलों के लिए MSP में बढ़ोतरी: सरकार ने रबी सीजन की 6 प्रमुख फसलों के लिए MSP में बढ़ोतरी की है। नई MSP दरें इस प्रकार हैं:
फसल | पहला MSP (₹/क्विंटल) | वृद्धि (₹) | नया MSP (₹/क्विंटल) |
---|---|---|---|
गेहूं | 2275 | 150 | 2425 |
जौ | 1850 | 130 | 1980 |
चना | 5440 | 210 | 5650 |
मसूर | 6425 | 275 | 6700 |
सरसों | 5650 | 300 | 5950 |
कुसुम | 5800 | 140 | 5940 |
MSP तय करने की प्रक्रिया: फसलों का MSP उत्पादन लागत के आधार पर तय किया जाता है। इसमें श्रम, बीज, उर्वरक, सिंचाई, मशीनरी और परिवार के श्रम का मूल्य शामिल होता है। इसका उद्देश्य किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य देना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
सरकार की दृष्टि और किसानों की उम्मीद: मोदी सरकार का यह कदम किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और कृषि क्षेत्र में स्थिरता लाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। MSP में बढ़ोतरी और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा जैसे प्रयास न केवल किसानों की आय बढ़ाएंगे, बल्कि कृषि को आत्मनिर्भर भी बनाएंगे।
किसानों को अब यह भरोसा है कि उनकी उपज को उचित मूल्य मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। यह कदम उनकी मेहनत और भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।