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कम लागत में बंपर पैदावार देने वाली चने की बेहतरीन नई किस्म के बारे में जानें

कम लागत में बंपर पैदावार देने वाली चने की बेहतरीन नई किस्म के बारे में जानें
चने की खेती
22 Oct, 2024 07:00 AM IST Updated Fri, 01 Nov 2024 07:44 AM

चने की नई उन्नत किस्म की जानकारी और विशेषताएं: रबी सीजन के आगमन के साथ किसान चने की फसल की बुवाई की तैयारी में जुट गए हैं। इस दौरान खेत तैयार करने से लेकर बीज और खाद की खरीदारी तक का कार्य किसान कर रहे हैं। सरकार भी किसानों को दलहन और तिलहन फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहन दे रही है, ताकि अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके। इसी क्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने चने की एक नई उन्नत किस्म विकसित की है, जिसे 'पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव)' नाम दिया गया है। इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 32.9 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त हो सकती है।

पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव) की खास विशेषताएं:

कृषि वैज्ञानिकों ने पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव) को मध्य भारत के लिए विकसित किया है। इस किस्म की बुवाई के लिए गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश उपयुक्त राज्य माने गए हैं। आइए जानते हैं इस किस्म की विशेषताओं के बारे में:

  • फसल अवधि: पूसा चना 20211 देसी किस्म 108 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता: यह किस्म फुसैरियम विल्ट रोग के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी है और शुष्क जड़ गलन, कॉलर रॉट, स्टंट एवं फली भेदक जैसे रोगों के प्रति भी मध्यम प्रतिरोधक क्षमता रखती है।
  • प्रोटीन की मात्रा: इस किस्म के बीजों में प्रोटीन की मात्रा लगभग 18.9 प्रतिशत होती है।
  • बीज वज़न: इसके 100 बीजों का वजन लगभग 19.5 ग्राम होता है।
  • पैदावार क्षमता: इस किस्म से प्रति हेक्टेयर औसतन 23.9 क्विंटल पैदावार हासिल की जा सकती है, जबकि इसकी अधिकतम पैदावार 32.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच सकती है।

उन्नत किस्म की बुवाई का सही समय और विधि Right time and method of sowing improved variety:

चने की फसल में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए इसकी बुवाई सही समय पर और उचित विधि से की जानी चाहिए। सिंचित और असिंचित क्षेत्रों में बुवाई का समय अक्टूबर के पहले और दूसरे पखवाड़े में होना चाहिए। जहां उकटा रोग का प्रकोप ज्यादा होता है, वहां इसकी बुवाई देरी से करनी चाहिए।

मिट्टी का चुनाव और खेत की तैयारी Soil selection and field preparation:

चने की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली हल्की दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है, जिसका पीएच स्तर 6.6 से 7.2 के बीच हो। खेत की पहली जुताई ट्रैक्टर से जुड़े मिट्टी पलटने वाले हल से करें, फिर एक क्रॉस जुताई कर के पाटा लगाकर समतल कर लें।

बुवाई की गहराई और दूरी Sowing depth and distance:

चने के बीजों की बुवाई गहराई में करनी चाहिए ताकि जड़ों में नमी बनी रहे। सिंचित क्षेत्र में बीजों की बुवाई 5 से 7 सेंटीमीटर गहराई में और बारानी क्षेत्र में 7 से 10 सेंटीमीटर गहराई में करें। कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर रखें, जबकि काबुली चने की बुवाई में यह दूरी 30-45 सेंटीमीटर होनी चाहिए।

बीज उपचार और रोग नियंत्रण Seed treatment and disease control: बुवाई से पहले बीजों को रोग नियंत्रण हेतु थायरम, मैन्कोजेब या कार्बेन्डाजिम से उपचारित करना चाहिए। उकटा रोग और दीमक से बचाव के लिए बीजों को क्लोरोपायरीफॉस से भी उपचारित करें। बीजों को राइजोबियम कल्चर से भी उपचारित करना चने की खेती में लाभकारी सिद्ध होता है।

सारांश Summary: पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव) किस्म किसानों के लिए उन्नत पैदावार का एक आदर्श विकल्प है। इसकी उन्नत विशेषताएं, रोग प्रतिरोधक क्षमता और उच्च प्रोटीन की मात्रा इसे किसानों के बीच लोकप्रिय बना रही है। सही समय और तकनीक से इस किस्म की बुवाई कर किसान अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं।