देशभर में गेहूं की बुआई का कार्य तेजी से पूरा हो रहा है। इस समय गेहूं की फसल को जड़ माहू कीट और अन्य रोगों से बचाना किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती है। कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की फसल में पीलापन और जड़ माहू कीट के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए विशेष एडवाइजरी जारी की है। सही समय पर इन कीटों का नियंत्रण नहीं किया गया, तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है।
जड़ माहू कीट गेहूं के पौधों की जड़ों में पाया जाता है और वहां से रस चूसकर पौधों को कमजोर करता है।
बीज उपचार से रोकथाम:
ये भी पढें... कम पानी और उच्च तापमान में भी बेहतर उत्पादन देगी गेहूं की उन्नत किस्म CG 1040, जानें इसके लाभ और विशेषताएं
जिन क्षेत्रों में अभी तक गेहूं की बुआई नहीं हुई है, वहां बीज उपचार करना अत्यंत आवश्यक है।
कीट प्रकोप होने पर दवाओं का छिड़काव:
जिन क्षेत्रों में बुआई पूरी हो चुकी है और कीटों के लक्षण दिखने लगे हैं, वहां निम्नलिखित दवाओं का छिड़काव करें:
यूरिया के साथ कीटनाशक का मिश्रण:
थायोमेथॉक्जॉम 30% कीटनाशक की 250 मिली मात्रा को 50 किलो यूरिया में मिलाएं और प्रति एकड़ छिड़काव करें।
अन्य महत्वपूर्ण सुझाव:
निष्कर्ष: जड़ माहू कीट से फसल को बचाने के लिए सही पहचान और समय पर दवाओं का उपयोग आवश्यक है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए उपायों का पालन करके किसान अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और उत्पादन बढ़ा सकते हैं। फसल की नियमित निगरानी और प्रभावी कीटनाशकों का छिड़काव जड़ माहू कीट से निपटने के लिए सबसे बेहतर उपाय हैं।
ये भी पढें... किसान इन तीन उन्नत गेहूं की किस्मों की करें बुआई, होगी बंपर पैदावार, जानें एक्सपर्ट की सलाह