प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है जो प्राकृतिक आपदाओं से उनकी फसल को सुरक्षा प्रदान करती है। बीते कुछ वर्षों में इस योजना के नामांकन में 27% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो योजना की लोकप्रियता और किसानों में बढ़ते भरोसे का संकेत देती है। आइए, इस लेख में जानें इस योजना का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, लाभ, तकनीकी सुधार, और सरकार द्वारा कवरेज बढ़ाने के प्रयास।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई, और इसके पिछले आठ वर्षों में करीब 56.80 करोड़ किसान इसका हिस्सा बने हैं। इस दौरान किसानों को 1,55,977 करोड़ रुपये का बीमा क्लेम मिला है, जबकि उन्होंने केवल 31,139 करोड़ रुपये का प्रीमियम भुगतान किया। यानी, किसानों को उनके प्रीमियम के मुकाबले पाँच गुना से अधिक लाभ प्राप्त हुआ है।
PMFBY एक मांग-आधारित योजना है, जिसमें किसानों और राज्यों के लिए इसे अपनाना स्वैच्छिक है। पिछले तीन वर्षों में, नामांकन में क्रमशः 33.4%, 41%, और 27% की वृद्धि हुई है। 2023-24 में इस योजना के तहत नामांकित कुल किसानों में से 42% गैर-ऋणी किसान हैं, जो दर्शाता है कि किसान स्वेच्छा से इस योजना को अपना रहे हैं।
वर्ष 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्रीमियम के मामले में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी बीमा योजना है। यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल हानि से सुरक्षा प्रदान करती है और विशेषकर आपदा प्रभावित मौसमों में किसानों की आय को स्थिर रखने में सहायक है। यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसमें राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अलग से आवंटन नहीं किया जाता है।
योजना में पारदर्शिता के लिए तकनीक का उपयोग:
PMFBY को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए कई तकनीकी सुधार किए गए हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण सुधार इस प्रकार हैं:
कवरेज बढ़ाने के प्रयास Efforts to increase coverage:
सरकार के प्रयासों के चलते योजना के तहत कवरेज वर्ष-दर-वर्ष बढ़ रहा है और किसान इस योजना में स्वेच्छा से शामिल हो रहे हैं। सरकार ने कवरेज बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे:
पारदर्शिता और किसानों के अनुकूल योजना: PMFBY के संचालन में पारदर्शिता को प्राथमिकता देने के लिए विभिन्न हितधारकों के सुझावों को शामिल किया गया है। यह सुनिश्चित किया गया है कि किसानों को उनका लाभ समय पर और निष्पक्षता से मिले। साथ ही, योजना के संचालन दिशानिर्देशों में आवश्यक सुधार किए गए हैं ताकि किसानों को अधिकतम लाभ मिल सके।